Shashi Tharoor Statement : जब थरूर ने खोली कांग्रेस के दिल की बात ,हम अब पहले से ज़्यादा लेफ्ट हो गए हैं
News India Live, Digital Desk: राजनीति सिर्फ चुनाव लड़ने और जीतने का नाम नहीं है, यह विचारधारा की भी लड़ाई है। पार्टियां अपनी सोच और सिद्धांतों के आधार पर जनता के बीच जाती हैं। लेकिन क्या होता है जब एक पार्टी को अपनी पुरानी विचारधारा बदलनी पड़े? कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर ने इसी को लेकर एक बहुत ही अहम और गहरी बात कही है, जो आज की कांग्रेस की पूरी कहानी बयां करती है।
क्या कांग्रेस अब 'बीच के रास्ते' वाली पार्टी नहीं रही?
शशि थरूर के अनुसार, एक वक्त था जब कांग्रेस पार्टी 'मध्यम मार्गी' हुआ करती थी। यानी, न तो पूरी तरह से दक्षिणपंथी (Rightist) और न ही पूरी तरह से वामपंथी (Leftist)। वह बीच का रास्ता अपनाती थी। थरूर याद दिलाते हैं कि जब डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तो कांग्रेस की नीतियां इसी सोच को दर्शाती थीं। उस सरकार ने अर्थव्यवस्था से लेकर विदेश नीति तक, एक संतुलित रास्ता चुना था।
लेकिन, थरूर का कहना है कि अब वो दिन बीत गए हैं। आज की कांग्रेस अपनी पुरानी जगह से खिसककर वामपंथ की ओर ज़्यादा झुक गई है।
लेकिन आखिर ऐसा हुआ क्यों?
इस बड़े बदलाव की वजह बताते हुए थरूर सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राजनीति की ओर इशारा करते हैं। उनका मानना है कि बीजेपी जिस तरह की आक्रामक और कई बार 'बांटने वाली' राजनीति करती है, उसका मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को अपनी रणनीति और अपनी आवाज बदलनी पड़ी। विपक्ष में रहते हुए बीजेपी के नैरेटिव को काटने के लिए कांग्रेस को एक मज़बूत वैचारिक स्टैंड लेना पड़ा, और यह स्टैंड उसे वामपंथ के करीब ले गया।
यह बयान अपने आप में बहुत कुछ कहता है। यह बताता है कि कांग्रेस के अंदर इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि बीजेपी की प्रचंड ताकत का मुकाबला कैसे किया जाए। क्या अपने पुराने 'सबको साथ लेकर चलने वाले' रास्ते पर चलकर या फिर एक नई, ज़्यादा आक्रामक और स्पष्ट वैचारिक लाइन अपनाकर?
शशि थरूर का यह कहना कि यह बदलाव सिर्फ एक चुनावी रणनीति है या पार्टी की सोच में आया स्थायी परिवर्तन, यह कहना अभी मुश्किल है, इस बहस को और भी गहरा कर देता है। यह दिखाता है कि कांग्रेस एक दोराहे पर खड़ी है, जहाँ उसे न सिर्फ चुनाव जीतना है, बल्कि अपनी पहचान को भी नए सिरे से परिभाषित करना है।
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