Sharadiya Navratri 2025 : सुरक्षा, समृद्धि और सफलता के लिए कैसे करें कवच, अर्गला और कीलक पाठ
News India Live, Digital Desk: नवरात्रि में माँ दुर्गा की विशेष कृपा पाने के लिए 'दुर्गा सप्तशती' का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है. इसमें 'कवच', 'अर्गला' और 'कीलक' स्तोत्र भी शामिल होते हैं, जिनका पाठ करने से पूरी दुर्गा सप्तशती का लाभ मिलता है, खासकर जब कोई पूरा पाठ न कर पाए. इन पाठों को सही तरीके और नियमों के साथ करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि गलत विधि से इनका पाठ करने पर पूरा फल नहीं मिलता, बल्कि इसका विपरीत असर भी हो सकता है.
यहाँ इन पाठों को करने के कुछ ख़ास नियम और सावधानियां बताई गई हैं:
1. कवच पाठ
- नियम: दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले 'दुर्गा कवच' का पाठ करना चाहिए. कुछ मान्यताओं के अनुसार इसे पाठ के बाद भी करना चाहिए स्नान करके साफ़ कपड़े पहनकर और घी का दीपक जलाकर मां दुर्गा का ध्यान करें। मन से सभी दुर्भावनाओं को दूर कर भक्ति भाव से पाठ करें।
- महत्व: यह पाठ एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है, जो भक्त को हर तरह की नकारात्मक शक्तियों, बीमारियों और संकटों से बचाता हैयह शारीरिक और मानसिक रूप से सुरक्षित महसूस कराने में मदद करता है।
- गलत पढ़ने पर: यदि 'कवच' पाठ को ठीक से नहीं पढ़ा जाता है या अधूरा छोड़ दिया जाता है, तो माना जाता है कि पाठक असुरक्षित रह सकता है और पाठ से मिलने वाले सुरक्षा लाभ से वंचित हो सकता है.
2. अर्गला स्तोत्र
- नियम: 'कवच' के पाठ के बाद 'अर्गला स्तोत्र' का पाठ किया जाता है।
- महत्व: अर्गला का अर्थ होता है "कुंडी" या "दरवाज़े की कड़ी"। इस पाठ से माता दुर्गा सुख, समृद्धि, अच्छी सेहत और जीवन के सभी आनंद के द्वार खोलती हैं यह हमें मानसिक रूप से सशक्त बनाता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।
- गलत पढ़ने पर: यदि 'अर्गला' का पाठ विधि-विधान से नहीं किया जाता है, तो मनोकामनाओं की पूर्ति में बाधा आ सकती है या अपेक्षित फल नहीं मिलता है।
3. कीलक स्तोत्र
- नियम: 'कीलक स्तोत्र' का पाठ 'अर्गला' के बाद और दुर्गा सप्तशती के मुख्य अध्यायों से पहले किया जाता है। कुछ जानकारों के अनुसार, कीलक स्तोत्र का पाठ निष्कीलन (किसी शाप के प्रभाव को हटाना) के साथ करना अनिवार्य होता है, नहीं तो पाठ का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
- महत्व: कीलक का अर्थ है "कील" या "बंधन"। इस स्तोत्र के माध्यम से भक्त देवी से अपने पाठों के फल को सुरक्षित रखने की प्रार्थना करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि आपके पाठ का पूरा पुण्य आपको मिले और कोई दोष उसे प्रभावित न करे। यह हमें दृढ़ संकल्प और विश्वास प्रदान करता है।
- गलत पढ़ने पर: यदि 'कीलक' का पाठ सही विधि या उसका अभिप्राय समझे बिना किया जाए तो वह फलदायी नहीं होता, अपितु हानि पहुँचा सकता है। शास्त्रों में कहा गया है कि पूर्ण समर्पण की भावना के अभाव में भगवती रुष्ट हो सकती हैं, जिससे विनाश अवश्यंभावी है।
पाठ के सामान्य नियम और सावधानियां:
- पवित्रता: पाठ करते समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता बहुत ज़रूरी है
- श्रद्धा: पाठ हमेशा पूरी श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ करना चाहिए।
- सही उच्चारण: मंत्रों और स्तोत्रों का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए, अन्यथा उनका प्रभाव कम हो सकता है या गलत फल मिल सकता है।
- ब्राह्मण से पाठ: यदि आप स्वयं पाठ करने में कठिनाई महसूस करते हैं, तो किसी योग्य ब्राह्मण से यह पाठ करवाना शुभ होता है।
इन नियमों का पालन करने से आपको माँ दुर्गा की असीम कृपा प्राप्त होती है और नवरात्रि का व्रत एवं पूजन सफल होता है.
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