Sexually Transmitted Disease (STD) Causes: जानें एसटीडी के कारण और बचाव के तरीके

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सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) यानी यौन संचारित रोग, वे बीमारियां हैं जो असुरक्षित यौन संबंध या लापरवाही के कारण फैलती हैं। इस विषय को लेकर अक्सर लोग संकोच करते हैं, जिसकी वजह से लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। यही लापरवाही आगे चलकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

आइए जानते हैं एसटीडी के कारण, लक्षण, और इससे बचाव के उपाय ताकि आप खुद को और अपने पार्टनर को स्वस्थ रख सकें।

एसटीडी के मुख्य कारण (Common Causes of STDs)

  1. असुरक्षित यौन संबंध (Unprotected Sexual Intercourse):
    बिना कंडोम या अन्य सुरक्षात्मक साधनों के यौन संबंध बनाना एसटीडी फैलने का सबसे प्रमुख कारण है।
  2. एक से अधिक पार्टनर (Multiple Partners):
    एक से अधिक यौन पार्टनर होने से एसटीडी का खतरा बढ़ जाता है, खासकर अगर आप किसी के स्वास्थ्य की स्थिति से अनजान हैं।
  3. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना (Contact with Infected Person):
    संक्रमित व्यक्ति के जननांगों, लार, वीर्य, या रक्त के संपर्क में आने से संक्रमण हो सकता है।
  4. संक्रमित सुई या ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Infected Needles or Blood Transfusion):
    संक्रमित सुई के उपयोग या संक्रमित रक्त चढ़ाने से भी एसटीडी हो सकती है, जैसे कि HIV या हेपेटाइटिस B
  5. मां से बच्चे को संक्रमण (Mother-to-Child Transmission):
    गर्भावस्था के दौरान या डिलीवरी के समय मां से बच्चे को एसटीडी का संक्रमण हो सकता है।
  6. संक्रमित वस्तुओं का उपयोग (Use of Infected Items):
    संक्रमित रेजर, तौलिए, या अंडरगारमेंट्स का उपयोग करने से भी एसटीडी फैलने की संभावना होती है।

एसटीडी के लक्षण (Common Symptoms of STDs)

Dr. Amrendra Pathak के अनुसार, एसटीडी के लक्षणों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:

  1. जननांगों में जलन या खुजली (Burning or Itching in Genitals):
    यौन अंगों में जलन, खुजली, या असहज महसूस होना।
  2. असामान्य डिस्चार्ज (Abnormal Discharge):
    महिलाओं और पुरुषों दोनों में असामान्य योनि या लिंग स्राव होना।
  3. घाव या फुंसियां (Sores or Ulcers):
    जननांगों या मुंह के आसपास छोटे घाव या छाले होना।
  4. पेशाब में दर्द (Pain During Urination):
    पेशाब करते समय दर्द या जलन महसूस होना।
  5. शरीर पर रैशेज (Rashes on Skin):
    शरीर के विभिन्न हिस्सों पर लाल चकत्ते या रैशेज होना।
  6. सूजन या गांठें (Swollen Lymph Nodes):
    ग्रंथियों में सूजन या दर्द होना, खासकर गले, कमर या बगल में।

यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें।

एसटीडी से बचाव के उपाय (Prevention Tips for STDs)

Dr. Pathak के अनुसार, एसटीडी से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:

  1. सुरक्षित यौन संबंध (Practice Safe Sex):
    हमेशा कंडोम का उपयोग करें। यह एसटीडी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।
  2. स्वच्छता का ध्यान रखें (Maintain Hygiene):
    यौन अंगों की साफ-सफाई का ध्यान रखें और संक्रमित वस्तुओं का उपयोग न करें।
  3. एक पार्टनर के साथ संबंध (Limit to One Partner):
    एक ही पार्टनर के साथ वफादार रहें और सुनिश्चित करें कि आपका पार्टनर भी स्वस्थ है।
  4. नियमित हेल्थ चेकअप (Regular Health Checkups):
    नियमित रूप से यौन स्वास्थ्य की जांच कराते रहें ताकि किसी भी संक्रमण का पता शुरुआती चरण में चल सके।
  5. खुलकर बातचीत करें (Open Communication):
    अपने पार्टनर के साथ यौन स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात करें। इससे किसी भी समस्या का जल्दी पता लगाया जा सकता है।
  6. सुइयों और मेडिकल उपकरणों का ध्यान रखें (Sterilized Needles):
    सुनिश्चित करें कि किसी भी इंजेक्शन या सुई का उपयोग करने से पहले वह स्टेरलाइज्ड हो।