फरवरी में, भारत की सेवा PMI (Purchasing Managers’ Index) में उल्लेखनीय उछाल देखने को मिला। यह आंकड़ा जनवरी के 56.5 से बढ़कर 59 के स्तर पर पहुंच गया है, जो सेवा क्षेत्र में सशक्त विस्तार का संकेत देता है। इसके साथ ही, कंपोजिट PMI, जो सेवा और विनिर्माण PMI का संयुक्त रूप होता है, जनवरी के 57.7 से बढ़कर 58.8 पर दर्ज किया गया।
PMI एक महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतक है, जिसे व्यापारिक गतिविधियों के प्रदर्शन को समझने के लिए उपयोग किया जाता है। अगर PMI का स्तर 50 से ऊपर है, तो इसे व्यापार विस्तार के रूप में देखा जाता है, जबकि 50 से नीचे का स्तर संकुचन को दर्शाता है। इस संदर्भ में, भारत की फरवरी PMI वृद्धि अर्थव्यवस्था में मजबूत विकास की ओर इशारा करती है।
PMI का महत्व: आर्थिक गतिविधियों का दर्पण
PMI (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) अर्थव्यवस्था की गतिशीलता को समझने का एक प्रमुख उपकरण है। यह हर महीने प्रकाशित किया जाता है और सेवा एवं विनिर्माण क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियों की स्थिति को प्रदर्शित करता है।
PMI की गणना निम्नलिखित कारकों पर आधारित होती है:
- नए ऑर्डर्स की संख्या
- उत्पादन स्तर
- रोजगार की स्थिति
- आपूर्ति और मांग की स्थिति
- व्यापारिक विश्वास का स्तर
PMI स्कोर को समझने का तरीका:
PMI स्कोर | अर्थ |
---|---|
50 से अधिक | व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि |
50 से कम | व्यापारिक गतिविधियों में गिरावट |
50 के बराबर | स्थिरता |
फरवरी के सेवा PMI में वृद्धि दर्शाती है कि भारत का सेवा क्षेत्र तेजी से विस्तार कर रहा है, जो कि आर्थिक विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
सेवा क्षेत्र की मजबूती: मुख्य कारण
भारत के सेवा सेक्टर में फरवरी में सुधार देखने को मिला, जो वैश्विक मांग में वृद्धि और नए ऑर्डर्स में बढ़ोतरी के कारण हुआ।
एचएसबीसी की चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट, प्रांजुल भंडारी ने कहा कि नए एक्सपोर्ट ट्रेड इंडेक्स के अनुसार, पिछले छह महीनों में सबसे तेज गति से वैश्विक मांग में वृद्धि हुई है, जिसने भारत के सेवा क्षेत्र के उत्पादन को मजबूत किया।
सेवा क्षेत्र की मजबूती के मुख्य कारण:
- वैश्विक मांग में वृद्धि: अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत की सेवाओं की मांग बढ़ी है।
- नए ऑर्डर्स में तेजी: घरेलू और वैश्विक स्तर पर व्यापारियों ने नई सेवाओं का ऑर्डर दिया।
- रोजगार सृजन: सेवा क्षेत्र में नई नौकरियों का सृजन हुआ, जिससे बेरोजगारी दर में कमी आई।
- तकनीकी सेवाओं में उछाल: IT, वित्तीय सेवाओं और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) सेक्टर में तेजी देखी गई।
- सरकार की नीतियों का समर्थन: सरकार द्वारा लागू की गई नीतियां, जैसे कि “मेक इन इंडिया” और “डिजिटल इंडिया”, सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देने में सहायक साबित हो रही हैं।
विनिर्माण सेक्टर में गिरावट: संतुलन की आवश्यकता
जहाँ सेवा PMI में मजबूत वृद्धि देखी गई, वहीं विनिर्माण सेक्टर का प्रदर्शन इसके विपरीत रहा। फरवरी में विनिर्माण PMI 56.3 पर आ गया, जो 14 महीनों का निचला स्तर है।
एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स के अनुसार, पिछली तिमाही का स्तर 56.8 था, जो अब गिरकर 56.3 पर आ गया है।
विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट के कारण:
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा
- उच्च कच्चे माल की लागत
- मांग में अस्थिरता
- नए निवेश की धीमी गति
हालांकि, सेवा क्षेत्र की मजबूती से उम्मीद की जा सकती है कि विनिर्माण क्षेत्र भी धीरे-धीरे उछाल लेगा।
सेवा क्षेत्र के निर्यात में बढ़त: भारत की ताकत
भारत का सेवा क्षेत्र न केवल घरेलू बाजार में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मजबूत प्रदर्शन कर रहा है। पिछले वर्ष, भारत के सेवा निर्यात ने गुड्स एक्सपोर्ट की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।
एचएसबीसी के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय ऑर्डर्स में वृद्धि इस ट्रेंड को समर्थन दे रही है। सेवा प्रदाताओं ने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, अमेरिका और मध्य पूर्व से ग्राहकों की बेहतर मांग की सूचना दी है।
मुख्य बिंदु:
- पिछले छह महीनों में सेवा निर्यात की तेज वृद्धि
- रोजगार सृजन में बढ़ोतरी, 2005 के बाद सबसे तेज गति से
- BPO, IT और फाइनेंशियल सर्विसेज में निर्यात बढ़ा
यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि सेवा क्षेत्र का योगदान निर्यात आय में भी बढ़ रहा है।
अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का योगदान
भारत की तीसरी तिमाही GDP रिपोर्ट में भी सेवा सेक्टर का महत्वपूर्ण योगदान देखने को मिला। रिपोर्ट के अनुसार, तीसरी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 5.6% से बढ़कर 6.2% हो गई, जिसमें सेवा क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
2025 के लिए अनुमानित ग्रोथ:
- वित्त वर्ष 2025 में भारत के सेवा सेक्टर में 7.3% की बढ़त की उम्मीद।
- पिछले वर्ष सेवा क्षेत्र की 9% की वृद्धि दर थी।
- डिजिटलीकरण और तकनीकी प्रगति इस ग्रोथ को आगे बढ़ा सकते हैं।