प्रयागराज, 09 दिसम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग का अपहरण कर रेप के आरोपित को सत्र न्यायालय से मिली दस वर्ष कैद की सजा स्थगित कर दी है।
कोर्ट ने कहा कि आरोपित चार साल से अधिक सजा काट चुका है। सजा के खिलाफ अपील की जल्द सुनवाई की सम्भावना नहींं है। यदि सजा स्थगित नहीं की जाती तो अपील अर्थहीन हो जाएगी। कोर्ट ने शेष सजा पर रोक लगाते हुए सीजेएम कौशाम्बी के समक्ष जमानत बंधपत्र व दो प्रतिभूत प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज बजाज ने कमलेश पासी की आपराधिक अपील में दाखिल अर्जी पर दिया है। कोर्ट ने स्पष्टीकरण से संतुष्ट होकर अपील दाखिल करने में हुई 199 दिन की देरी माफ कर दी और अपील विचारार्थ स्वीकार करते हुए मूल पत्रावली तलब की है।
आरोपित के खिलाफ कौशाम्बी के करारी थाने में दर्ज नाबालिग के अपहरण व रेप के आरोप में अपर सत्र न्यायाधीश कौशाम्बी ने दोषी करार देते हुए दस वर्ष कैद की सजा सुनाई है। जिसे अपील में चुनौती दी गई है। अधिवक्ता का कहना है कि सत्र न्यायालय के निर्णय में कई खामियां हैं। अपीलार्थी जिला कारागार कौशाम्बी में बंद है। अपील में उसके बरी होने की सम्भावना है इसलिए सजा निलम्बित की जाए।