नौकरी के दौरान वरिष्ठ नागरिकों को नहीं करनी चाहिए ये 5 गलतियां, वरना रिटायरमेंट के बाद होगी परेशानी

रिटायरमेंट प्लानिंग कितनी जरूरी है, यह तो सभी जानते हैं। अगर आपको बुढ़ापे में बिना काम किए पैसे चाहिए तो उसके लिए पेंशन प्लान लेना जरूरी है। रिटायरमेंट की प्लानिंग तो हर कोई करता है, लेकिन ज्यादातर लोग इस दौरान कुछ बड़ी गलतियां कर देते हैं। नौकरी के दौरान की गई गलतियां आपके बुढ़ापे पर भारी पड़ती हैं। आइए आज जानते हैं ऐसी ही 5 गलतियों के बारे में, जो लोग अक्सर रिटायरमेंट प्लानिंग के दौरान कर देते हैं।

1- ईपीएफ पर बहुत अधिक निर्भर हो जाना

बहुत से युवा सोचते हैं कि वे EPF के ज़रिए बचत कर रहे हैं, इसलिए वे अपने बुढ़ापे के लिए कोई अलग से योजना नहीं लेते। इसकी ब्याज दरें सरकार तय करती है और बाज़ार में NPS जैसे कुछ बेहतर विकल्प भी मौजूद हैं। इसलिए EPF पर ज़्यादा निर्भर न रहें और दूसरे विकल्पों पर भी ध्यान दें।

2- नौकरी बदलते समय ईपीएफ ट्रांसफर न करना

अक्सर देखा जाता है कि नौकरी बदलने के बाद लोग अपने ईपीएफ का पैसा पुरानी कंपनी से नई कंपनी में ट्रांसफर नहीं करते हैं। इससे उन्हें ब्याज का नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए नौकरी बदलने के बाद पुरानी कंपनी का ईपीएफ का पैसा नई कंपनी में जरूर ट्रांसफर करें।

3- देर से बचत शुरू करना

नौकरी लगने के बाद शुरुआत में ज्यादातर युवा यही सोचते हैं कि रिटायरमेंट के लिए अभी से पैसे क्यों बचाएं, बाद में पैसे बचा लेंगे। आपको बता दें कि आप जितनी जल्दी और जितना ज्यादा निवेश करना शुरू करेंगे, रिटायरमेंट पर उतना ही ज्यादा पैसा मिलेगा। अगर आपको रिटायरमेंट तक एक तय रकम चाहिए तो जल्दी निवेश शुरू करने से आपको हर महीने कम पैसे लगाने होंगे और रिटर्न भी ज्यादा मिलेगा।

4- सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष मानी जाए

वैसे तो आधिकारिक तौर पर रिटायरमेंट की उम्र 60 साल है, लेकिन आज के समय में लोग बहुत ज़्यादा दबाव में काम कर रहे हैं। ऐसे में 60 साल तक काम करते रहना मुश्किल हो जाता है। इसलिए अगर आप नौकरी मिलने के तुरंत बाद रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू कर देते हैं, तो ज़रूरी नहीं है कि आप 60 साल में ही रिटायर हो जाएँ, आप उससे पहले भी रिटायर हो सकते हैं।

5- मुद्रास्फीति की अनदेखी

अक्सर लोग रिटायरमेंट के लिए बचत करते समय यह नहीं सोचते कि आज से 25-30 साल बाद रुपये की कीमत क्या होगी। रिटायरमेंट की प्लानिंग करते समय वे महंगाई को नजरअंदाज कर देते हैं और मौजूदा दरों के हिसाब से पैसे निवेश करना शुरू कर देते हैं। ऐसे में रिटायरमेंट पर उन्हें मिलने वाली पेंशन बहुत कम होती है, जिससे उनके खर्चे ठीक से पूरे नहीं हो पाते।