सीहोरः कलेक्टर ने ब्रॉड बेड फरो से सोयाबीन बुआई का किया अवलोकन, किसानों को प्रेरित करने के दिए निर्देश

सीहोर, 9 जुलाई (हि.स.)। कलेक्टर प्रवीण सिंह ने मंगलवार को सीहोर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत जमुनिया के ग्राम पड़ली में ब्रॉड बेड फरो (बीबीएफ) पद्धति से सोयाबीन बुआई का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने किसानों तथा कृषि विभाग के उप संचालक केके पाण्डे से ब्राड बेड फरो से बुआई के बारे में विस्तार से जानकारी ली। कलेक्टर ब्रॉड बेड फरो पद्धति से बुआई से लाभ के बारे में किसानों को बताने और जागरूक तथा प्रेरित करने के कृषि विभाग के अधिकारियो को निर्देश दिए।

ब्रॉड बेड फरो को मूल रूप से सोयाबीन के खेतों में पानी की समस्या से निपटने के लिए विकसित किया गया है। जहां हल्की एवं मध्यम काली मिट्टी वाले क्षेत्र है, वहां पर कृषकों को ब्रॉड बेड फरो (बीबीएफ) या चौड़ी क्यारी और नाली पद्धति से बुआई की जाती है। मिट्टी की नमी का प्रबंधन वर्षा के पानी का मिट्टी में रिसाव तथा नमी अवधारणा को बढ़ाकर एवं पानी के बहाव तथा मृदा अपरदन को कम करने के लिये इसका उपयोग किया जाता है। इस प्रकार बी.बी.एफ मशीन द्वारा गहरी नाली बनाकर अधिकतम वर्षा के दौरान जल की निकासी की जाती है तथा कम वर्षा होने पर गहरी नाली नमी के संरक्षण का काम करती है। जिससे दोनों स्थितियों के हानिकारक प्रभाव कम हो जाते हैं।

ब्रॉड बेड फरो पद्धति की विशेषताएँ
ब्रॉड बेड फरो में सीड प्लेसमेन्ट हेतु एडजेस्टमेंट की सुविधा दी गई होती है। इस बहुउद्देशीय मशीन का उपयोग प्रदाय किये गये फरो ओपनर को जोड़कर एवं हटाकर खरीफ व रबी दोनों फसलों के लिए किया जा सकता है। इस मशीन से पंक्ति से पंक्ति की दूरी एडजेस्ट की जा सकती है। ब्रॉड बेड फरो से बने चैनलों या नाली के माध्यम से आसानी से सिंचाई की जा सकती है। ब्रॉड बेड फरो में बोये गये बीजों को मिट्टी से एक साथ ढकने की सुविधा होती है। ब्रॉड बेड फरो में 5 फरो ओपनरों के साथ 4 अतिरिक्त फरो ओपनर का प्रावधान है। इस तकनीक के उपयोग से फसल उत्पादन में 14.20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है।

उन्नत बीज और खेती की नई तकनीक का उपयोग करें किसान
कलेक्टर सिंह ने मंगलवार को सीहोर विकासखंड के ग्राम सांकल, छतरपुरा स्थित राम बीज उत्पादक समिति का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने संस्था के गोदाम तथा बीज प्रसंस्करण इकाई का निरीक्षण किया। इस दौरान कलेक्टर ने जिले के किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए। निरीक्षण दौरान कृषि विभाग के उप संचालक केके पाण्डे सहित अन्य अधिकारी एवं स्थानीय किसान उपस्थित रहे।

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने बीज तैयार करने के सम्पूर्ण प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने बीज प्रसंस्करण की संपूर्ण प्रक्रिया ग्रेडिंग, पैकेजिंग तथा भंडारण और विक्रय की व्यवस्था देखी। इस समिति द्वारा लगभग 900 क्विंटल बीज उत्पादन किया जाता है। क्षेत्र के 1000 से अधिक किसानों द्वारा इस बीज उत्पादक समिति से बीज लिया जाता है।

कलेक्टर ने उपस्थित किसानों से चर्चा करते हुए कहा कि उन्नत बीज का उपयोग तथा नवीनतम कृषि पद्धतियों का उपयोग करने के लिए कहा। उन्होंने किसानों से कहा की खेती में आ रहे बदलाव के बारे में अपडेट रहना चाहिए और खेती के दौरान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार खाद, बीज और कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए।