बाबा बटुक भैरव का त्रिगुणात्मक श्रृंगार देख श्रद्धालु आह्लादित,धाम में उमड़े श्रद्धालु

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वाराणसी,15 दिसम्बर (हि.स.)। कमच्छा स्थित बटुक भैरव मंदिर में रविवार को बाबा के बाल विग्रह का सत, रज और तम स्वरूप (त्रिगुणात्मक श्रृंगार) देख श्रद्धालु आह्लादित दिखे। बटुक भैरव दरबार में अलसुबह से ही दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। दिन चढ़ने के साथ श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई।

इसके पहले मंदिर में तड़के महंत जितेंद्र मोहन पुरी की देखरेख में बाबा के बाल विग्रह को पंचामृत स्नान कराया गया। इसके बाद 51 किलो सफेद बेला और अन्य श्वेत पुष्पों से सात्विक श्रृंगार किया गया। इसके बाद पंचमेवा, फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया और मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गए।

शाम को गुलाब के पुष्पों सहित स्वर्ण और रजत आभूषणों से बाबा बटुक भैरव का राजसी रूप में श्रृंगार हुआ। बाबा को 56 भोग अर्पित किया गया। रात्रि में बाबा की आरती उतारी उतारी गई। मध्यरात्रि में महाआरती से पहले बाबा का तामसी श्रृंगार कर चक्रासन पूजा होगी। पंच मकार के भोग के साथ ही बाबा का खप्पर मदिरा से भरा जाएगा। इसके बाद महाआरती कर मंदिर के कपाट बंद होगा। महंत जितेंद्र मोहन पुरी “विजय गुरु” ने बताया कि शाम को दरबार में लोक कल्याण के लिए रूद्र बटुक महायज्ञ शुरू हुआ जो रात्रि 10 बजे तक अनवरत चलेगा। इस विशेष यज्ञ के लिए मंदिर प्रांगण में स्थित हवन कुंड को साल में एक बार ही पूर्ण रूप से खोला जाता है । जिसकी गहराई तकरीबन 6 फीट है। साकला, विभिन्न प्रकार के मेवा, धान का लावा, शहद, बताशा तांत्रोक्त जड़ी बूटी तथा शुद्ध देशी घी इत्यादि सामग्रियों से यह हवन किया जा रहा है।

बताते चलें कि महादेव के बाल स्वरूप के वार्षिक त्रिगुणात्मक श्रृंगार का दर्शन के लिए वाराणसी और आसपास के जिलों के श्रद्धालु दरबार में उमड़ते है। बाल बटुक भैरव को संकटों का नाश करने वाला, भय और दुःख को दूर करने वाला देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में बाबा बटुक भैरव को साहस, सुरक्षा और न्याय का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। काशी में मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के नगरी की देखभाल का जिम्मा कोतवाल रूप में भैरव बाबा निभाते हैं। काशी के विश्वेश्वरखंड में काल भैरव तो केदारखंड में बाल रूप बटुक भैरव को यह जिम्मेदारी मिली है। श्रद्धालु पूजा-भोग, आरती में सात्विक, राजसी व तामसी भोग अर्पित करते है। बाबा को सात्विक रूप से फल-मिष्ठान तो शाम को पंचमेवा और रात में भोग में मांस-मछली, अंडा, बड़ा, पूड़ी के साथ दो खप्पर मदिरा चढ़ाया जाता है। इसे अष्ट भैरव व अष्ट मातृका पूजन कर उनके वाहन श्वान को प्रसाद स्वरूप दिया जाता है।