School merger case in Uttar Pradesh : हाईकोर्ट में सुनवाई, सरकार ने 1 किलोमीटर से दूर के स्कूलों को न मिलाने का दावा किया

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News India Live, Digital Desk: School merger case in Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के विलय (मर्जर) के एक महत्वपूर्ण मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. राज्य सरकार ने न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि जिन स्कूलों के बीच एक किलोमीटर से अधिक की दूरी है, उनका विलय नहीं किया जाएगा. सरकार की ओर से पेश हुए वकीलों ने न्यायमूर्ति अजीत कुमार की बेंच के समक्ष यह जानकारी दी. यह सुनवाई ऐसे समय में हो रही है जब विभिन्न जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा स्कूलों के विलय का काम लगातार चल रहा है और सैकड़ों प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को एकीकृत किया जा रहा है.

सरकार के मुताबिक, उन स्कूलों को विलय के दायरे में लाया जा रहा है जहाँ छात्रों की संख्या कम है या फिर दो विद्यालय एक दूसरे के बेहद करीब हैं. सरकारी वकील ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि यह विलय प्रक्रिया शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए की जा रही है, न कि मनमाने ढंग से. उनका तर्क था कि इस कदम का उद्देश्य छात्रों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करना है, जहाँ अधिक संसाधन और प्रशिक्षित शिक्षक उपलब्ध होंगे. इसके विपरीत, विलय को चुनौती देने वाली याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि सरकार अपने निर्णय में उन नियमों का उल्लंघन कर रही है जिनमें छात्र नामांकन संख्या और स्कूलों के बीच की भौतिक दूरी दोनों को देखा जाता है शिक्षकों और अभिभावकों ने भी आशंका जताई है कि विलय से दूर स्थित स्कूलों के बच्चों को लंबा सफर तय करना पड़ सकता है और उनकी पढ़ाई प्रभावित हो सकती है.

याचिकाकर्ताओं के वकील द्वारा कुछ जिलाधिकारियों पर 'बनाए गए' रिकॉर्ड के आधार पर विलय आदेश पारित करने का आरोप लगाया गया था, जो न्यायालय द्वारा सत्यापित किए जा रहे हैं. इन आरोपों पर अदालत ने संज्ञान लिया है. न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से भी पूछा था कि उन विद्यालयों के विलय का आधार क्या है, जहाँ छात्रों की 

संख्या मानक के अनुरूप है और दूरी एक किलोमीटर से अधिक है. इसके अलावा, विलय के बाद अन्य स्कूलों के छात्रों की कक्षाओं का प्रबंधन कैसे होगा, इस पर भी कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा है. यह सुनवाई प्राथमिक शिक्षा के अधिकार, शिक्षक अनुपात, और सरकारी स्कूलों के भविष्य से संबंधित है अब इस मामले में अगली सुनवाई जुलाई में होने वाली है, जब सरकार अपने दावों के समर्थन में अधिक विस्तृत जानकारी और योजना प्रस्तुत करेगी.

 

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