दुबई से पकड़ा गया महादेव सट्टेबाजी ऐप के जरिए 6000 करोड़ का घोटाला, लाया जाएगा भारत

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महादेव सट्टा ऐप घोटाला: महादेव सट्टेबाजी ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर को कथित तौर पर दुबई में हिरासत में लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आदेश पर इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के तहत की गई है। यूएई के अधिकारियों ने भारत सरकार और सीबीआई को सौरभ चंद्राकर की हिरासत की जानकारी दे दी है.

 

 

सौरभ चंद्राकर के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू

सौरभ चंद्राकर की हिरासत की खबर के बाद अब उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया तेज हो गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सौरभ चंद्राकर को जल्द ही भारत लाया जाएगा. दिसंबर 2023 में सौरभ चंद्राकर को यूएई में हिरासत में लिया गया था, तब से वह दुबई पुलिस की हिरासत में हैं। अगले 10 दिनों में उसे भारत लाया जाएगा.

 

करोड़ों रुपये के जूस विक्रेता घोटाले का मास्टरमाइंड 

सौरभ चंद्राकर पर 6 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले का आरोप है. कुछ साल पहले तक, सौरभ छत्तीसगढ़ के रायपुर में सौरभ चंद्राकर जूस फैक्ट्री नाम से जूस की दुकान चलाते थे। जूस बेचने के साथ-साथ सौरभ चंद्राकर को सट्टेबाजी की भी आदत थी. पहले वह ऑफलाइन सट्टा खेलता था, लेकिन कोरोना के कारण उसने ऑनलाइन सट्टा खेलना शुरू कर दिया। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने रवि उप्पल नाम के शख्स के साथ मिलकर महादेव बेटिंग ऐप लॉन्च किया था.

रवि उप्पल महादेव बेटिंग ऐप में सौरभ चंद्राकर का पार्टनर

यह बेटिंग ऐप भारत में सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के दो बेहद करीबी सहयोगियों अनिल दम्मानी और सुनील दम्मानी की मदद से चल रहा था। प्रत्येक शाखा को फ्रेंचाइजी के रूप में बेचते थे सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल महादेव बेटिंग ऐप में रवि उप्पल सौरभ चंद्राकर के पार्टनर हैं। दावा किया गया है कि दोनों आरोपियों की कमाई 90 करोड़ रुपये प्रति माह है. कहा जा रहा है कि ऐप को प्रमोट करने के लिए कई बड़े बिजनेसमैन और बॉलीवुड सितारे भी महादेव के संपर्क में थे।

महादेव सट्टेबाजी ऐप क्या है?

महादेव बेटिंग ऐप ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बनाया गया था। इस पर यूजर्स पोकर, कार्ड गेम, चांस गेम जैसे लाइव गेम खेलते थे। क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल और चुनाव जैसे खेलों पर भी ऐप के जरिए सट्टा लगाया जाता था। ऐप का नेटवर्क अवैध सट्टेबाजी नेटवर्क के माध्यम से तेजी से फैल गया। इस ऐप का सबसे ज्यादा इस्तेमाल छत्तीसगढ़ में होने लगा।