नई दिल्ली: मोदी सरकार की आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए सरकार हर गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की सोच के साथ काम कर रही है। तदनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यक्रम और जीवन-यापन में आसानी से संबंधित गतिविधियों में सरपंचों और पंचायत पदाधिकारियों की सक्रिय भूमिका के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसीलिए पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायती राज संस्थाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हुए पंचायत संसाधन केंद्रों को स्मार्ट क्लास के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है, ताकि डिजिटल मीडिया के माध्यम से भी पंचायत प्रतिनिधियों को बेहतर प्रशिक्षण दिया जा सके.
पिछले दिनों पंचायती राज मंत्रालय की केंद्र पोषित राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की बैठक हुई। इसमें कई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिनमें मुख्य रूप से पंचायती राज संस्थाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल था. मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य पंचायत संसाधन केंद्र (एसपीआरसी) और जिला पंचायत संसाधन केंद्र (डीपीआरसी) को स्मार्ट क्लास के रूप में अपग्रेड किया जाएगा। अब यह निर्णय लिया गया है कि 25 राज्यों के एसपीआरसी और 395 जिलों के डीपीआरसी को स्मार्ट क्लास बनाने के लिए कंप्यूटर लैब स्थापित की जाएंगी। ये केंद्र प्रोजेक्टर, एलसीडी, इंटरैक्टिव पैनल और पीए सिस्टम आदि से सुसज्जित होंगे। सरकार की मंशा पंचायत संसाधन केंद्रों को उन्नत कर वहां उच्च क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाने की है. इस माध्यम से सरपंचों और पंचायत पदाधिकारियों को डिजिटल ज्ञान के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है. इसके साथ ही सीईसी ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और तेलंगाना में कॉमन सर्विस सेंटर के साथ 3301 ग्राम पंचायत भवनों के निर्माण को भी मंजूरी दे दी है।