उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। मस्जिद कमेटी ने इस मामले में जिला अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मुस्लिम पक्ष ने यह कदम उठाया है। याचिका में मुकदमे की पोषणीयता (maintainability) पर सवाल उठाते हुए इसे रद्द करने और निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है।
मस्जिद कमेटी की याचिका में क्या हैं प्रमुख बिंदु?
- मुकदमे की सुनवाई पर रोक की मांग:
- याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट से आग्रह किया गया है कि अदालत का अंतिम फैसला आने तक मुकदमे की सुनवाई को स्थगित किया जाए।
- सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक न करने की अपील:
- मस्जिद कमेटी ने एडवोकेट कमिश्नर द्वारा तैयार की गई सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से रोकने की मांग की है।
- इसके साथ ही, सर्वे प्रक्रिया पर रोक लगाने की अपील भी की गई है।
- प्रयागराज में दस्तावेज दाखिल:
- कमेटी के पदाधिकारी आज सुबह ही प्रयागराज पहुंचे और याचिका दाखिल करने के लिए जरूरी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए।
- याचिका पर हाईकोर्ट में मंगलवार या बुधवार को सुनवाई की संभावना है।
हिंदू पक्ष की दलीलें और कैविएट
हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि संभल की शाही जामा मस्जिद पहले हरिहर मंदिर थी।
- इसके समर्थन में उन्होंने जिला अदालत में मुकदमा दायर किया था, जिसके बाद अदालत ने मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया।
- हिंदू पक्ष ने पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की है, ताकि मुस्लिम पक्ष की याचिका पर कोई भी फैसला सुनाए जाने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हाईकोर्ट का रुख
मस्जिद कमेटी ने निचली अदालत के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
- सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट में अपनी याचिका दाखिल करने का निर्देश देते हुए निचली अदालत की कार्रवाई पर स्थगन आदेश (stay) जारी किया था।
- अब मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में अपनी याचिका दाखिल कर दी है।
पृष्ठभूमि: मस्जिद विवाद का कारण
- हरिहर मंदिर का दावा:
- हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही जामा मस्जिद का निर्माण हरिहर मंदिर को तोड़कर किया गया था।
- सर्वे का आदेश:
- जिला अदालत ने इस मामले में सर्वे का आदेश दिया था, जिसे मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी है।
- मुस्लिम पक्ष की आपत्ति:
- मस्जिद कमेटी का कहना है कि सर्वेक्षण का आदेश और मुकदमा गैर-आधारभूत (baseless) है और इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है।
क्या हो सकता है आगे?
- हाईकोर्ट का फैसला:
- हाईकोर्ट यह तय करेगा कि जिला अदालत में दाखिल मुकदमा पोषणीय है या नहीं।
- साथ ही, यह भी तय होगा कि सर्वे प्रक्रिया पर रोक लगाई जाएगी या नहीं।
- दोनों पक्षों की दलीलें:
- हिंदू और मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट में अपनी-अपनी दलीलें पेश करेंगे।
- कैविएट दाखिल होने के कारण हिंदू पक्ष को भी सुनवाई का पूरा मौका मिलेगा।