उत्तर प्रदेश के संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद का पिछले साल नवंबर में कोर्ट के आदेश पर सर्वे किया गया था। अब सर्वे टीम ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है। जानकारी के मुताबिक, टीम ने 1,000 से ज्यादा तस्वीरें कोर्ट को सौंपी हैं। इन तस्वीरों में मस्जिद परिसर में मंदिर होने के सबूत मिलने का दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद में कमल के फूल, घंटी की आकृति, शेषनाग, और वट वृक्ष जैसी संरचनाएं पाई गई हैं।
सर्वे में मिले महत्वपूर्ण सबूत
1. वट वृक्ष (बरगद के पेड़)
- मस्जिद के अंदर दो वट वृक्ष पाए गए हैं।
- हिंदू धर्म में वट वृक्ष का विशेष धार्मिक महत्व है और यह अक्सर मंदिरों में पाया जाता है।
2. कमल के फूल और कलश की आकृति
- मस्जिद के पूर्वी और मुख्य द्वार के चार स्तंभों में से दो पर कमल के फूल और नक्काशीदार कलश की आकृतियां मिली हैं।
- कमल का फूल और कलश हिंदू धार्मिक प्रतीकों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
3. शेषनाग और आदिशेष की आकृति
- मस्जिद के मुख्य परिसर में सुनहरी रंग की आकृति पाई गई है, जिसे शेषनाग या आदिशेष से मिलता-जुलता बताया गया है।
- मुख्य इमारत के दो हिस्सों पर घंटी के निशान भी देखे गए हैं।
सर्वे में और क्या पाया गया?
- मस्जिद परिसर में बरगद के पेड़ों पर कालिख के निशान मिले हैं।
- दावा किया गया है कि कालिख दिए जलाने के कारण हुई होगी, जैसा कि हिंदू धर्म में परंपरागत रूप से किया जाता है।
- पूर्वी और मुख्य द्वार पर बने स्तंभों की आकृतियों को द्वारपाल शैली से जोड़ा गया है।
कोर्ट का आदेश और सर्वे प्रक्रिया
- 19 नवंबर 2022 को संभल की एक स्थानीय अदालत ने शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया था।
- सर्वे की पहली प्रक्रिया शांति से संपन्न हुई।
- दूसरी बार 24 नवंबर को सर्वे टीम मस्जिद पहुंची, लेकिन इस दौरान हिंसा भड़क गई।
- इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और पुलिस ने मामले में कई आरोपियों को गिरफ्तार किया।
याचिका में मंदिर का दावा
- कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है कि जिस स्थान पर शाही जामा मस्जिद स्थित है, वहां पहले हरिहर मंदिर था।
- याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मस्जिद के अंदर हिंदू धार्मिक प्रतीकों के सबूत यह दर्शाते हैं कि यह स्थान एक मंदिर था।
मामले की वर्तमान स्थिति
- कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई जारी है।
- सर्वे रिपोर्ट के आधार पर यह देखा जाएगा कि याचिकाकर्ताओं के दावे में कितनी सच्चाई है।
- कोर्ट के अगले आदेश का सभी पक्षों को इंतजार है।