Sam Altman Secret Project : क्या आपका बच्चा भी लैब में डिजाइन होगा? एक ऐसा सच जो भविष्य की नींद उड़ा देगा
News India Live, Digital Desk: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में क्रांति लाने वाले और ChatGPT के निर्माता, सैम ऑल्टमैन, एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह AI नहीं, बल्कि इंसान का भविष्य है। एक चौंकाने वाले खुलासे में यह बात सामने आई है कि सैम ऑल्टमैन गुप्त रूप से एक ऐसे प्रोजेक्ट को फंड कर रहे हैं, जिसका मकसद दुनिया का पहला 'जीन-एडिटेड' बच्चा बनाना है।
इस खबर के सामने आते ही पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों और नैतिकतावादियों में खलबली मच गई है। उन्होंने इसे इंसानियत के लिए एक खतरनाक कदम बताते हुए गंभीर चेतावनी जारी की है।
क्या है यह सीक्रेट प्रोजेक्ट?
यह प्रोजेक्ट एक बायोटेक स्टार्टअप द्वारा चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य 'जीन-एडिटिंग' तकनीक का इस्तेमाल करके इंसानी भ्रूण (embryo) के DNA में बदलाव करना है। आसान भाषा में कहें तो, यह तकनीक डॉक्टरों को बच्चे के जन्म से पहले ही उसके जीन्स में बदलाव करने की क्षमता देगी। कंपनी का दावा है कि इसका मकसद अनुवांशिक बीमारियों जैसे सिकल-सेल एनीमिया या सिस्टिक फाइब्रोसिस को हमेशा के लिए खत्म करना है।
सबसे बड़ी चिंता का विषय: विवादित वैज्ञानिक की वापसी
इस प्रोजेक्ट को लेकर सबसे बड़ा बवाल इसलिए मचा है, क्योंकि इसके पीछे वही चीनी वैज्ञानिक ही जियानकुई (He Jiankui) का हाथ है, जिसने 2018 में पूरी दुनिया को धोखा देकर गैर-कानूनी तरीके से दुनिया की पहली जीन-एडिटेड बच्चियों 'लुलु' और 'नाना' को पैदा किया था।
इस काम के लिए पूरी दुनिया में उनकी आलोचना हुई थी और चीन की सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया था। अब सैम ऑल्टमैन जैसी बड़ी हस्ती द्वारा उसी विवादित वैज्ञानिक को फिर से मौका देना, वैज्ञानिकों को डरा रहा है। उन्हें डर है कि पैसा और तकनीक का यह गठजोड़ एक ऐसी तबाही ला सकता है, जिसे रोका नहीं जा सकेगा।
वैज्ञानिकों ने क्यों बजाई खतरे की घंटी?
- 'डिजाइनर बेबी' का खतरा: वैज्ञानिकों को डर है कि बीमारियों को खत्म करने की आड़ में यह तकनीक 'डिजाइनर बेबी' बनाने का रास्ता खोल देगी। अमीर लोग अपने बच्चों के लिए बेहतर बुद्धिमत्ता, अच्छी लंबाई, या मनचाही आंखों का रंग चुन सकेंगे। इससे समाज में एक नई और खतरनाक असमानता पैदा होगी।
- अनजान खतरे: जीन-एडिटिंग तकनीक अभी भी 100% सुरक्षित नहीं है। DNA में एक छोटा सा अनचाहा बदलाव भी आने वाली पीढ़ियों में नई और लाइलाज बीमारियों को जन्म दे सकता है। यह एक ऐसा बदलाव होगा जिसे ठीक नहीं किया जा सकेगा।
- इंसानियत के साथ खिलवाड़: कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रकृति और इंसानियत के साथ खिलवाड़ है। इंसानी DNA, जो लाखों सालों के विकास का नतीजा है, उसमें बदलाव करने का हक हमें किसने दिया?
सैम ऑल्टमैन जो खुद AI के खतरों को लेकर दुनिया को आगाह करते रहते हैं, उनका ऐसे विवादित और खतरनाक प्रोजेक्ट में शामिल होना कई गंभीर सवाल खड़े करता है। यह मामला टेक्नोलॉजी की उस अंधी दौड़ को दिखाता है, जहाँ हम इंसानियत के भविष्य को दांव पर लगाने से भी नहीं हिचक रहे हैं।
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