‘आवरण नया, लेकिन आत्मा वही’ के दृष्टिकोण के साथ एक नए कलेवर में सामने आएगा साबरमती आश्रम

अहमदाबाद, 10 मार्च (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 12 मार्च को दांडी कूच दिवस के अवसर पर अहमदाबाद में “आश्रम भूमि वंदना” कार्यक्रम में शामिल होंगे और ‘महात्मा गांधी साबरमती आश्रम पुनर्निर्माण प्रोजेक्ट’ का शुभारंभ करेंगे। यह आश्रम स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधी जी के साथ देश और दुनिया भर के नेताओं की मंत्रणा का साक्षी रहा है। साथ ही यह गांधी जी के उच्च आदर्शों, मूल्यों और सादगी भरे जीवन का भी साक्षी रहा है। “आश्रम भूमि वंदना” के इस समारोह में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद रहेंगे।

साबरमती आश्रमः भारतीय इतिहास का एक अहम अध्याय

दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के पश्चात महात्मा गांधी ने 1917 में अहमदाबाद में साबरमती नदी के तट पर इस आश्रम की नींव रखी थी। भारतीय इतिहास के एक अहम अध्याय के रूप में साबरमती आश्रम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक प्रमुख केंद्र रहा है। इस स्थान की सादगी और पवित्रता को देख यह यकीन करना मुश्किल है कि आधी दुनिया पर राज करने वाले अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश करने वाले एक साधारण व्यक्ति ने इसी स्थान से आजादी के अहिंसक आंदोलन की रणनीतियां बनाई और देशवासियों को स्वाधीनता के प्रति जागृत किया।

एक शताब्दी पुरानी धरोहर के पुनर्विकास का प्रधानमंत्री का विजन

महात्मा गांधी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में एक विशेष लगाव और सम्मान की भावना है। युद्ध के इस दौर में शांति के पक्षधर के रूप में प्रधानमंत्री की आवाज महात्मा गांधी की याद दिलाती है। वे जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ देश और दुनिया भर के लोगों को गांधी विचारों के साथ जोड़ने की दिशा में प्रयास करते थे। भविष्य की पीढ़ी भी महात्मा गांधी के आदर्शों और सादगी भरे जीवन को प्रत्यक्ष अनुभव कर सके, इसके लिए प्रधानमंत्री ने साबरमती आश्रम के पुनर्निर्माण के इस प्रोजेक्ट की परिकल्पना की थी।

1200 करोड़ रुपये के खर्च से बनेगा विश्व स्तरीय स्मारक

1200 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित 55 एकड़ में फैली इस परियोजना का उद्देश्य साबरमती आश्रम और उसके आसपास की आधारभूत संरचनाओं का विकास करके उनकी पहचान को पुनर्स्थापित करने और पर्यटकों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ महात्मा गांधी जी को समर्पित एक विश्व स्तरीय स्मारक बनाना है। यह स्मारक भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करेगा और गांधी जी के विचारों का प्रभाव बढ़ाएगा।

यहां गांधी जी के दिव्य जीवन और आश्रम की भव्य विरासत को दर्शाने वाली जानकारीपूर्ण प्रदर्शनियों के साथ ही पूज्य बापू द्वारा साबरमती आश्रम से शुरू किए गए सत्याग्रह और स्वतंत्रता संग्राम को दर्शाती इंटरैक्टिव प्रदर्शनियां भी होंगी। इतना ही नहीं, यह परिसर वैश्विक स्तर के मानकों के साथ पर्यटकों के लिए व्याख्यान केंद्र, सार्वजनिक सुविधाओं, फूड कोर्ट और सोविनियर शॉप जैसी सुविधाओं से सुसज्जित होगा। यहां ऐसे वर्कशॉप का भी आयोजन होगा जहां पर्यटक गांधी जी के सत्यता और आत्मनिर्भरता के मूल्यों को बढ़ावा देने की अवधारणा के साथ-साथ आश्रम में गांधी जी के समय के दौरान बनाए गए हैंडीक्राफ्ट का अनुभव भी कर पाएंगे।

आवरण नया, लेकिन आत्मा वही

बापू के दर्शन और विचारों को अभिव्यक्त करने वाले साबरमती आश्रम को एक नए कलेवर में दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि आश्रम का ‘आवरण’ तो नया हो, लेकिन उसकी ‘आत्मा’ वही रहे। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत मुख्य आश्रम की सादगी और प्रामाणिक स्थापत्य कला को बनाए रखते हुए 20 पुराने भवनों का संरक्षण, 13 भवनों का जीर्णोद्धार और 3 भवनों का पुनर्विकास शामिल है। इसका उद्देश्य साबरमती आश्रम आने वाले लोगों के लिए शुद्ध-स्वच्छ, शांत और हरे-भरे वातावरण का निर्माण करना है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात सरकार दुनिया को सत्य, अहिंसा और शांति का संदेश देने वाले महात्मा गांधी के जीवन की यादों को अपने में संजोए इस साबरमती आश्रम के पुनर्विकास के कार्य को पूरी संवेदना और भावनात्मकता के साथ करने जा रही है। क्योंकि, साबरमती आश्रम केवल एक स्थान नहीं है, यह स्वतंत्रता सेनानियों की तपस्थली है, आत्म-खोज का स्थल है और जीवन-मूल्यों की पाठशाला है। यहां के कण-कण में आज भी गांधी जी की विरासत, सादगी और विचारों की खुशबू विद्यमान है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गांधी जी के विचारों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की दिशा में यह पुनर्विकास प्रोजेक्ट एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।