रूस और यूक्रेन के बीच पिछले तीन वर्षों से जारी संघर्ष ने दुनिया का ध्यान खींचा है। इस लंबे और विनाशकारी युद्ध में, रूस को अपनी ताकत और संसाधनों के बावजूद बड़े पैमाने पर नुकसान झेलना पड़ा है। आंकड़ों के अनुसार, रूस के लगभग 7.80 लाख सैनिक हताहत हो चुके हैं और 3,000 से अधिक टैंक नष्ट हो गए हैं। इसके बावजूद, रूस ने युद्ध में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है और यूक्रेन पर लगातार हमले कर रहा है।
यूक्रेन ने हाल ही में दावा किया है कि इस युद्ध के चलते नवंबर तक रूस को लगभग 3 अरब डॉलर के हथियारों का नुकसान हुआ है। इस बीच, यूक्रेन ने बाल्टिक सागर में रूसी बेड़े को बड़ा नुकसान पहुंचाकर रूस को बड़ा झटका दिया है।
रूस का बढ़ता सैन्य खर्च और तीन ब्रह्मास्त्र
रूस ने इस युद्ध के लिए अपने सैन्य खर्च को कुल सरकारी बजट का 40% तक बढ़ा दिया है। इसके अलावा, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तीन घातक हाइपरसोनिक मिसाइलों – किंजल, त्सिरकॉन, और ओरेशनिक – को युद्ध में उतारने का निर्णय लिया है।
1. किंजल मिसाइल: अद्वितीय हाइपरसोनिक हथियार
रूस ने युद्ध के शुरुआती हफ्तों में अपनी किंजल मिसाइल (डैगर) का उपयोग किया था। यह हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल मिग-31 लड़ाकू जेट से लॉन्च की जाती है।
- विशेषताएं:
- हाइपरसोनिक गति: आवाज की गति से कई गुना तेज।
- लक्ष्य भेदन क्षमता: उच्च सटीकता के साथ गहरी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम।
- परिचय: इसे 2018 में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी अगली पीढ़ी के हथियारों के रूप में पेश किया था।
2. त्सिरकॉन मिसाइल: नवीनतम तकनीक की मिसाइल
रूस ने 2024 की शुरुआत में यूक्रेन के खिलाफ त्सिरकॉन मिसाइल का इस्तेमाल किया। इसे जिरकोन भी कहा जाता है।
- मुख्य तथ्य:
- यह मिसाइल ध्वनि की गति से कम से कम पांच गुना तेज है।
- 2022 में इसका परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
- इसकी क्षमताएं इसे किसी भी रडार सिस्टम से बचने में सक्षम बनाती हैं।
3. ओरेशनिक मिसाइल: रूसी सैन्य ताकत का प्रदर्शन
यूक्रेन पर किए गए हाल के हमलों में रूस ने ओरेशनिक मिसाइल का उपयोग किया है। यह मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है।
- खासियतें:
- इसकी गति मैक 10 से मैक 11 तक है (12,300 किमी/घंटा)।
- इसे अंतरमहाद्वीपीय हमलों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
भविष्य की रणनीतियां: 2025 का वर्ष और बढ़ेगा तनाव
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने हाल ही में घोषणा की कि रूस 2025 तक इन मिसाइलों के उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ाएगा। साथ ही, ईरान और उत्तर कोरिया से बैलिस्टिक मिसाइलों की आपूर्ति के माध्यम से अपनी सैन्य शक्ति को और मजबूत करेगा।
दूसरी ओर, अमेरिका में ट्रंप शासन के दौरान यूक्रेन को मिलने वाली आर्थिक और सैन्य मदद में कटौती की संभावना है। यह स्थिति यूक्रेन के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।