रूस-यूक्रेन युद्ध में एक और भारतीय की मौत हो गई है। केरल के त्रिशूर जिले के निवासी बिनिल टीबी (32) की मौत यूक्रेन के ड्रोन हमले में हो गई। बिनिल रूसी सेना की एक टुकड़ी के साथ काम कर रहे थे। उनके साथ उनके एक रिश्तेदार जैन टीके (27) भी युद्ध क्षेत्र में मौजूद थे, जो गंभीर रूप से घायल हो गए। बिनिल की पत्नी और परिवार मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में थे, जिन्होंने उनकी मौत की सूचना दी।
ड्रोन हमले में कैसे हुई मौत?
- यूक्रेन की सेना द्वारा किए गए ड्रोन हमले में बिनिल टीबी और उनके रिश्तेदार जैन टीके घायल हो गए थे।
- बिनिल की स्थिति गंभीर थी और उन्हें बचाया नहीं जा सका।
- जैन टीके को चिकित्सा सहायता दी जा रही है और उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
- भारतीय दूतावास ने सोमवार को बिनिल के परिवार को उनकी मृत्यु की पुष्टि की।
बिनिल टीबी: कौन थे और कैसे जुड़े युद्ध से?
- भर्ती का मामला:
बिनिल और जैन जून 2024 से रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में फंसे हुए थे। कथित तौर पर, उन्हें रूसी भाड़े के समूह द्वारा अवैध रूप से भर्ती किया गया।- उन्हें इलेक्ट्रीशियन की नौकरी का वादा किया गया था।
- एक भर्ती एजेंसी के माध्यम से वे रूस पहुंचे थे।
- त्रिशूर के वडक्कनचेरी के निवासी:
बिनिल केरल के त्रिशूर जिले के वडक्कनचेरी के रहने वाले थे। - शैक्षणिक पृष्ठभूमि:
उन्होंने मैकेनिकल डिप्लोमा हासिल किया था और रूस में इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम करने की योजना बनाई थी। - पासपोर्ट जब्त:
रूस पहुंचने के बाद उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए और उन्हें सैन्य सेवा में भेज दिया गया। - संपर्क कटने की समस्या:
- उनके मोबाइल फोन और अन्य सामान खो गए, जिससे स्थिति और खराब हो गई।
- रिश्तेदारों ने उनकी वापसी के लिए भारतीय अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई।
- रिश्तेदार का संबंध:
बिनिल और जैन, एक अन्य रिश्तेदार के माध्यम से निजी वीजा पर रूस गए थे।
परिवार की स्थिति और सरकारी हस्तक्षेप
बिनिल के परिवार ने भारतीय दूतावास और नोर्का (गैर-निवासी केरल मामलों का विभाग) से मदद मांगी थी।
- नोर्का ने पुष्टि की कि बिनिल की मौत रूस-यूक्रेन युद्ध के अग्रिम मोर्चे पर हुई।
- भारतीय अधिकारियों ने रूस के साथ इस मामले पर हस्तक्षेप किया था।
भर्ती और धोखाधड़ी का मामला
- बिनिल और उनके रिश्तेदार जैन, नौकरी का लालच देकर रूस ले जाए गए थे।
- वहां पहुंचने पर उन्हें सैन्य सेवा में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया।
- यह मामला उन भारतीय कामगारों के लिए एक चेतावनी है, जिन्हें फर्जी वादों के तहत विदेशों में भेजा जा रहा है