दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से कथित रूप से करोड़ों रुपये की नकदी मिलने के मामले में नया मोड़ आ गया है। दिल्ली अग्निशमन विभाग के प्रमुख अतुल गर्ग ने स्पष्ट किया है कि अग्निशमन अभियान के दौरान कोई नकदी नहीं मिली थी। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने भी बयान जारी कर भ्रामक सूचनाओं पर विराम लगाने की कोशिश की है।
सुप्रीम कोर्ट का बयान: तबादले और जांच में कोई संबंध नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि जस्टिस वर्मा के तबादले का उनकी जांच प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि 20 मार्च 2025 को कॉलेजियम ने स्थानांतरण प्रस्ताव की समीक्षा की थी, जोकि आंतरिक प्रक्रिया का हिस्सा था। जस्टिस वर्मा को उनके मूल उच्च न्यायालय इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा गया, जहां वे वरिष्ठता में नौवें स्थान पर होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि, “जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर हुई घटना को लेकर गलत सूचनाएं और अफवाहें फैलाई जा रही हैं।”
दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख की सफाई
दिल्ली अग्निशमन सेवा (DFS) के प्रमुख अतुल गर्ग ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 14 मार्च की रात 11:35 बजे लुटियंस दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने की सूचना मिली। दमकल की गाड़ियां रात 11:43 बजे घटनास्थल पर पहुंची और आग पर 15 मिनट में काबू पा लिया।
गर्ग ने स्पष्ट किया, “हमारे अग्निशमन कर्मियों को अभियान के दौरान कोई नकदी नहीं मिली। आग बुझाने के बाद पुलिस को सूचना दी गई और हमारी टीम मौके से रवाना हो गई।”
मीडिया रिपोर्ट्स और प्रारंभिक जांच
इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि आग बुझाने के दौरान जस्टिस वर्मा के आवास से नकदी बरामद हुई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने प्रारंभिक जांच शुरू की। रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि न्यायमूर्ति वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट और अग्निशमन विभाग दोनों ने इन दावों को खारिज कर दिया है।