Rules for Tulsi Puja : हफ्ते के इन दो दिनों में भूलकर भी न करें तुलसी को स्पर्श और न चढ़ाएं जल
News India Live, Digital Desk: Rules for Tulsi Puja : सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है. हर हिंदू घर में तुलसी का पौधा देखने को मिलता है, जिसे मां लक्ष्मी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है. ऐसी मान्यता है कि तुलसी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है. लेकिन तुलसी पूजा के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना बहुत ज़रूरी है. इन नियमों में से एक बहुत महत्वपूर्ण नियम यह है कि हफ्ते के कुछ खास दिनों में तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए और न ही उन्हें जल अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से शुभ की जगह अशुभ परिणाम मिल सकते हैं और धन की देवी मां लक्ष्मी भी रूठ सकती हैं.
तो कौन से हैं वो दो दिन जब तुलसी को नहीं छूना चाहिए?
शास्त्रों के अनुसार, हफ्ते में दो दिन ऐसे होते हैं जब तुलसी के पौधे को छूने या उन्हें जल अर्पित करने से बचना चाहिए:
1. रविवार:
रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव को समर्पित होता है. कहते हैं कि रविवार को तुलसी माता आराम करती हैं और इसलिए उन्हें स्पर्श नहीं करना चाहिए. रविवार को तुलसी का पत्ता तोड़ने से घर में दरिद्रता आती है और जीवन में बाधाएं आ सकती हैं. अगर आप भगवान विष्णु के लिए तुलसी अर्पित करना चाहते हैं तो शनिवार की शाम को ही तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लें.
2. एकादशी का दिन:
हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में दो बार एकादशी आती है. एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन तुलसी जी को स्पर्श करने की मनाही होती है. माना जाता है कि एकादशी पर तुलसी माता का विवाह भगवान शालिग्राम से हुआ था, इसलिए उन्हें इस दिन विश्राम दिया जाता है. इस दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ना या उन्हें पानी देना शुभ नहीं माना जाता. इससे घर में दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है.
अन्य खास दिन:
उपरोक्त दो दिनों के अलावा, चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन भी तुलसी को स्पर्श करने से बचना चाहिए. इन दिनों तुलसी के पत्तों को तोड़ना और जल चढ़ाना भी वर्जित माना गया है.
इसलिए, अगर आप अपने घर में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा बनाए रखना चाहते हैं, तो इन नियमों का पालन ज़रूर करें. इन विशेष दिनों को छोड़कर बाकी दिनों में आप नियमानुसार तुलसी पूजा कर सकते हैं और उन्हें जल अर्पित कर सकते हैं.
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