दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद राजनीतिक और कानूनी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने इसे सिर्फ तबादले तक सीमित करने की कोशिश बताया, जबकि भाजपा ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
भाजपा का रुख और कांग्रेस के सवाल
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) ने इस मामले पर संज्ञान लिया है, इसलिए पार्टी इस पर टिप्पणी नहीं करेगी। वहीं, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पूछा कि इतनी बड़ी नकदी कहां से आई और क्यों दी गई? उन्होंने गहराई से जांच की मांग की।
क्या है पूरा मामला?
सूत्रों के मुताबिक, न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर 14 मार्च की रात आग लगी। दमकल कर्मियों और पुलिस ने राहत कार्य के दौरान एक कमरे से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की। हालांकि, तबादले का आधिकारिक आदेश अभी जारी नहीं हुआ है।
वकीलों का विरोध
इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा के तबादले पर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि ऐसे गंभीर मामले में केवल स्थानांतरण पर्याप्त नहीं है।
जस्टिस वर्मा का प्रोफाइल
- जन्म: 6 जनवरी 1969, प्रयागराज
- शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.कॉम (ऑनर्स), रीवा विश्वविद्यालय से एलएलबी
- वकालत की शुरुआत: 8 अगस्त 1992
- 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज बने, 2021 में दिल्ली हाई कोर्ट में स्थानांतरित हुए
अब सुप्रीम कोर्ट और सरकार की प्रतिक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हैं।