राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने औरंगजेब को लेकर जारी विवाद और हिंसा पर गहरी निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में औरंगजेब की कोई प्रासंगिकता नहीं है, फिर भी लोग उसके नाम और कब्र को लेकर आपस में क्यों भिड़ रहे हैं।
यह बयान नागपुर में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग और उसके बाद हुई हिंसा के संदर्भ में आया है।
इस झड़प में 30 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी थे।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अब भी नागपुर के 11 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा हुआ है।
सुनील अंबेकर ने कहा:
“अगर औरंगजेब आज भी प्रासंगिक होता, तो क्या उसकी कब्र हटानी चाहिए? जवाब यह है कि वह प्रासंगिक नहीं है। किसी भी तरह की हिंसा समाज के हित में नहीं है।”
‘छावा’ फिल्म के बाद गरमाया औरंगजेब विवाद
हाल ही में रिलीज हुई मराठी फिल्म ‘छावा’ ने इस विवाद को और हवा दी है।
फिल्म में मराठा योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज की वीरता और औरंगजेब द्वारा उनकी हत्या को दिखाया गया है।
फिल्म रिलीज के बाद कई हिंदूवादी संगठनों ने महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग शुरू कर दी।
सोमवार को विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने नागपुर के खुल्दाबाद में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के दौरान औरंगजेब का पुतला जलाया गया, लेकिन इसी दौरान अफवाह फैल गई कि धार्मिक ग्रंथ जलाया गया है।
इसके बाद हालात बेकाबू हो गए और नागपुर के महल व हंसपुरी इलाकों में आगजनी और तोड़फोड़ शुरू हो गई।
भीड़ ने स्थानीय लोगों के घरों पर हमला किया, पत्थरबाजी की और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।