राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को हटाने की विपक्ष की याचिका में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का मुद्दा भी शामिल कर लिया गया है। कांग्रेस ने अपने नोटिस में आरोप लगाया है कि धनखड़ का RSS की प्रशंसा करना उनके पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है। कांग्रेस ने इस बात को भी रेखांकित किया है कि धनखड़ ने अतीत में खुद को “RSS का एकलव्य” बताया था।
इस मुद्दे को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक टकराव तेज हो गया है। संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस की याचिका की आलोचना करते हुए इसे “ध्यान भटकाने की रणनीति” बताया।
सरकार की प्रतिक्रिया: “RSS की तारीफ में क्या गलत है?”
संसदीय मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने कांग्रेस की याचिका को खारिज करते हुए कहा, “कांग्रेस की याचिका में एक बिंदु यह है कि जगदीप धनखड़ ने RSS की तारीफ की है। RSS हमारे देश का एक गौरवशाली राष्ट्रवादी संगठन है। इसमें गलत क्या है?”
उन्होंने कहा कि भारत में कोई भी व्यक्ति किसी भी वैध और “जेन्युइन” संगठन की प्रशंसा कर सकता है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के पास कोई “ठोस एजेंडा” नहीं है और वह “गांधी परिवार और जॉर्ज सोरोस के संबंधों” से ध्यान भटकाने के लिए इस याचिका का सहारा ले रही है।
रिजिजू ने कहा:
“मुझे आश्चर्य है कि कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति के RSS की प्रशंसा करने पर आपत्ति जताई है। यह साफ दर्शाता है कि कांग्रेस के पास मुद्दों का अभाव है।”
धनखड़ का RSS पर बयान
इस साल की शुरुआत में संसद में, जगदीप धनखड़ ने RSS का समर्थन करते हुए कहा था कि संगठन की “बेदाग साख” है और यह “राष्ट्रीय सेवा” कर रहा है।
धनखड़ ने कहा:
“RSS एक ऐसा संगठन है, जिसके पास इस राष्ट्र की विकास यात्रा में भाग लेने का पूर्ण संवैधानिक अधिकार है। इस संगठन की साख बेदाग है और इसमें शामिल लोग निस्वार्थ भाव से राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
उन्होंने RSS को “उच्चतम स्तर का वैश्विक थिंक टैंक” भी बताया।
कांग्रेस की आपत्ति
कांग्रेस का मानना है कि उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति का किसी संगठन की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा करना उनके पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है। विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ का RSS के प्रति समर्थन उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।
क्या है विवाद का असल मुद्दा?
- विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ का RSS की तारीफ करना उनकी निष्पक्षता को प्रभावित करता है।
- सरकार का कहना है कि किसी संगठन की प्रशंसा करना गलत नहीं है, खासकर तब जब वह संगठन राष्ट्र की सेवा में योगदान देता हो।
- इस विवाद के पीछे राजनीतिक रणनीतियों और ध्यान भटकाने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं।