रोमन हिन्दी ने हिन्दी को सर्वाधिक आहत किया : प्रो. रचना विमल

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झांसी,28 मार्च (हि.स.)। हिन्दी साहित्य भारती के तत्वाधान में, केंद्रीय अध्यक्ष डा. रवीन्द्र शुक्ल की अध्यक्षता एवं सत्यवती कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. रचना विमल (धर्मपत्नी मा. मंडलायुक्त विमल चन्द्र दुबे) के मुख्य आतिथ्य में विचार संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन होटल द मारवलस में हुआ। दीप प्रज्वलन के पश्चात सपना बबेले ने सरस्वती वन्दना और रामकुमार पांडेय ने गणेश वन्दना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

केंद्रीय कार्यालय सह प्रभारी रुचि जतारिया एवं केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य प्रतिभा त्रिपाठी ने मुख्य अतिथि प्रो. रचना विमल को अंगवस्त्र पहनाकर पुष्प गुच्छ देकर और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

प्रथम सत्र में विचार संगोष्ठी में केंद्रीय अध्यक्ष डा. रवींद्र शुक्ल ने संगठन के सम्पूर्ण भारत एवं वैश्विक विस्तार पर चर्चा करते हुए बताया कि मात्र 4 वर्षों के अल्पकाल में आज हिन्दी साहित्य भारती 36 देशों में हिन्दी के समग्र उत्थान और प्रसार हेतु सतत प्रयासरत है, हिन्दी को आठवीं सूची में शामिल कराए जाने के लिए किए जा रहे प्रयास को सांझा किया।

प्रो. रचना विमल ने बताया कि 27 वर्ष उपरान्त पुनः बुन्देलखण्ड में आना संयोग है और बुन्देलखण्ड को विकास के पथ पर सतत आगे बढ़ते देखना भी सुखद संयोग है, भाषा, संस्कृति और संस्कारों के आयोजनों में युवाओं के सहभाग हेतु आव्हान करते हुए हिन्दी को राष्ट्रभाषा की स्वीकार्यता हेतु आन्दोलन की आवश्यकता पर जोर दिया।

द्वितीय सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन में प्रताप नारायण दुबे, डा. के के साहू, सी वी राय तरुण, वी पी सैनी, देवेंद्र रावत नटखट, यदुवंशी बद्री पाडरी, कृष्ण मुरारी सखा, कैलाश नारायण मालवीय, रवि कुशवाहा, मनोज कुमार मृदुल, ओम प्रकाश मिश्रा, तेजभान सिंह बुंदेला, दिनेश गुरुदेव, राम बिहारी सोनी तुक्कड़, बालकवि बालाप्रसाद यादव, सुखराम चतुर्वेदी, निहाल चंद्र शिवहरे, साकेत सुमन चतुर्वेदी, आलोक शांडिल्य, संध्या निगम, प्रगति शंकर सहाय, मीरा अग्रवाल, रिपुसुदन नामदेव, शुभम लिटौरिया आदि ने सारगर्भित काव्यपाठ कर श्रोताओं को अल्हादित किया।

कार्यक्रम में महेंद्र वर्मा, विकास मुखरैया, दीपक त्रिपाठी, सुदर्शन शिवहरे, अनिल बबेले आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन जिलाध्यक्ष झाँसी महानगर संजय तिवारी राष्ट्रवादी एवं आभार जिलाध्यक्ष डा. राजेश तिवारी “मक्खन” ने व्यक्त किया।