पुष्पा 2: द रूल की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां पुष्पा: द राइज खत्म हुई थी। पुष्पा अब एक बड़ा लाल चंदन तस्कर बन चुका है और शानो-शौकत से जी रहा है। वह एक आलीशान बंगले में अपनी पत्नी श्रीवल्ली और मां के साथ रहता है। उसका लुक पहले से काफी बदल गया है—स्टाइलिश कपड़े, ज्वेलरी, और लाल नेल पेंट के साथ वह अब एक अलग ही अंदाज में दिखता है।
हालांकि, उसके जीवन में अभी भी दो बड़ी चुनौतियां खड़ी हैं। पहली, उसका सौतेला भाई, जो उसे हर समय नाजायज कहने का मौका नहीं छोड़ता। दूसरी, एसपी भंवर सिंह, जिसका एकमात्र उद्देश्य पुष्पा को सबक सिखाना है।
रिव्यू: कहानी और निर्देशन
डायरेक्टर सुकुमार ने इस बार कई चीजें बेहतर की हैं, जिन्हें पुष्पा: द राइज में नज़रअंदाज किया गया था। फिल्म का मुख्य आकर्षण पुष्पा का बचपन का ट्रॉमा है। एक ऐसा लड़का, जो केवल सम्मान चाहता है और अपने पिता के परिवार से अपनी मां और खुद को स्वीकार करवाने की ख्वाहिश रखता है, किस तरह तमाम मुश्किलों को पार कर तस्करी का राजा बनता है, यही फिल्म का दिल है।
फिल्म की शुरुआत धमाकेदार है और पहले हाफ में यह पूरी तरह से दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतरती है। लेकिन दूसरे हाफ में कहानी थोड़ी धीमी हो जाती है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि फिल्म अपनी दिशा खो रही है, जिससे दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि आखिर कहानी कहां जा रही है।
अल्लू अर्जुन का प्रदर्शन:
इस फिल्म को ऊंचाई तक ले जाने का सबसे बड़ा श्रेय अल्लू अर्जुन को जाता है। उन्होंने पिछले पांच वर्षों में इस किरदार को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया है। यही वजह है कि इस बार उनका आत्मविश्वास झलकता है। जब पुष्पा कहता है, “झुकेगा नहीं,” तो उसके चेहरे और आवाज में जबरदस्त आत्मविश्वास दिखता है।
फिल्म में पुष्पा के इमोशनल मोमेंट्स, खासकर श्रीवल्ली के साथ के दृश्य, दर्शकों का दिल जीत लेते हैं। पुष्पा का हर नया अनुभव उसके अतीत के ट्रॉमा से जुड़ा हुआ है, जो कहानी को गहराई देता है। क्लाइमेक्स धमाकेदार है और अल्लू अर्जुन की परफॉर्मेंस इस पर चार चांद लगाती है।
रश्मिका मंदाना का रोल:
रश्मिका मंदाना ने श्रीवल्ली के किरदार में इस बार और ज्यादा जान डाली है। उनका किरदार कुछ-कुछ एनिमल फिल्म की गीतांजली जैसा लगता है—जहां वह पति पर नाराज होती हैं, फिर प्यार से खाना भी खिलाती हैं। खुशी में अपने प्यार का इजहार करती हैं और गुस्से में तगड़ा डांटती भी हैं।
फिल्म में एक मोनोलॉग सीन भी है, जिसे रश्मिका ने बखूबी निभाया है। हालांकि, उनका किरदार मुख्य कहानी में सीमित नजर आता है।
फाहद फासिल और अन्य किरदार:
फाहद फासिल, जो एसपी भंवर सिंह का किरदार निभा रहे हैं, को और बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता था। उनके किरदार की गहराई उतनी नहीं दिखी, जितनी दर्शकों को उम्मीद थी। इसके अलावा, कई अन्य सहायक किरदार भी साइडलाइन नजर आए।
संगीत और सिनेमैटोग्राफी:
फिल्म का म्यूजिक, जिसे देवी श्री प्रसाद ने तैयार किया है, कहानी के साथ पूरी तरह मेल खाता है। गाने जहां जरूरी हैं, वहां उन्हें बखूबी इस्तेमाल किया गया है।
सिनेमैटोग्राफी में भी शानदार काम हुआ है। खासतौर पर जतारा सीन को बहुत खूबसूरती से फिल्माया गया है। हर फ्रेम दर्शकों को कहानी के साथ जोड़े रखता है।
फिल्म का संदेश:
पुष्पा 2: द रूल न केवल एक्शन और मनोरंजन से भरपूर है, बल्कि इसमें महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर भी एक अहम संदेश दिया गया है।