एक शिक्षक एक छात्र का सच्चा मित्र, मार्गदर्शक, रोल मॉडल और गुरु होता है। शिक्षक को सामाजिक गुरु की उपाधि दी जाती है। ‘गुरु’ संस्कृत मूल का शब्द है जिसका अर्थ है अंधकार को दूर करने वाला। शिक्षक अपने विद्यार्थियों के मन में लटके मकड़जाल को दूर करता है। दुनिया के हर समाज और देश में शिक्षक का एक विशेष स्थान और महत्व होता है।
हर व्यक्ति की सफलता के पीछे उसके शिक्षक का अतुलनीय और असीमित योगदान होता है। एक शिक्षक ही वह होता है जो अपने छात्र को जीवन जीने का तरीका, आगे की सोच और जीवन की समझ सिखाकर अंधेरे रास्ते से प्रकाश की ओर ले जाता है। एक शिक्षक अपने ज्ञान, अनुभव, संस्कार और उच्च विचार से हमारे जीवन को समृद्ध, प्रेरणादायक, महान और सभ्य बनाता है।
भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था। 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सर की उपाधि से सम्मानित किया। 1962 में भारत सरकार ने डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में घोषित किया गया। इसे एक दिन तक सीमित करना शिक्षकों के साथ ज्यादती है।
इस दिन स्कूलों, कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले और विशेष उपलब्धियां हासिल करने वाले शिक्षकों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है। एक शिक्षक ही ऐसा होता है जो अपने विद्यार्थियों को अच्छा इंसान बनने की शिक्षा देने के साथ-साथ उन्हें ऊंचे पदों पर देखने में भी आनंद महसूस करता है।
शिक्षक एक चमकता हुआ दीपक है जो स्वयं जलता है और अपने विद्यार्थियों को प्रकाश देता है। सच ही कहा गया है कि “गुरु बिन ज्ञान नहीं” अर्थात यदि हमारे जीवन में कोई गुरु नहीं है तो हम गुरु के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते। समाज को बेहतर बनाने की पूरी जिम्मेदारी शिक्षक के कंधों पर होती है। इसलिए यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस दिन को उन लोगों को समर्पित करें जो इतनी बड़ी भूमिका निभाते हैं ताकि हम शिक्षक का सम्मान और सम्मान कर सकें।
आधुनिक समय में शिक्षा व्यवस्था में काफी गिरावट आई है। आज के समय में शिक्षा निजी संपत्ति बन गई है। बड़े घरानों के लोगों ने निजी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय खोलकर शिक्षा के क्षेत्र में अपने पैर फैलाये हैं। शिक्षा के निजीकरण के कारण गरीब लोग अपने बच्चों को महंगी उच्च शिक्षा दिलाने से वंचित हैं। आधुनिक समय में हमारी शिक्षा प्रणाली रटी-रटाई, बोझिल और अवैज्ञानिक है, जिसके कारण हमारे समाज में जाति-पाति, भेदभाव, धार्मिक अंधविश्वास फैल रहा है। इस कारण उच्च डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को वस्तुनिष्ठ समाज की स्थितियों की कोई विशेष समझ नहीं होती। शिक्षा में इस गिरावट के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है और शिक्षक-छात्र संबंध भी खराब हो रहे हैं।
शिक्षा के बाजारीकरण ने समाज में शिक्षक के सम्मान को ठेस पहुंचाई है। शिक्षक तो एक ही है जिसके आगे हम सिर झुकाते हैं, लेकिन दुनिया में और भी कई पद हैं। आज हमें शिक्षक की स्थिति, परिस्थिति और शिक्षक-छात्र के रिश्ते को समझने की जरूरत है। मेरे सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ।
‘हम भटक गए होते अगर उन्होंने हमें रास्ता नहीं दिखाया होता, अगर उन्होंने हमें सही और गलत के बीच अंतर करना नहीं सिखाया होता।’ अगर ऐसे बुद्धिमान लोग हमारे जीवन में शिक्षक बनकर नहीं आते तो हम कुछ भी नहीं होते।’