Religare कंपनी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक नया मोड़ आया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कंपनी की एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन रश्मि सलूजा से पूछताछ की है। चार महीने पुराने इस मामले में जल्द ही बड़े खुलासे होने की संभावना है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, रश्मि सलूजा और Religare के कुछ अन्य अधिकारियों पर कंपनी के फंड में हेराफेरी और फर्जी एफआईआर दर्ज कराने का आरोप है। हालांकि, रश्मि सलूजा ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है।
सलूजा से पूछताछ और आगे की कार्रवाई
- 17 दिसंबर को पेशी:
- रश्मि सलूजा 17 दिसंबर को ED के दफ्तर में पेश हुईं।
- उनसे कई घंटों तक पूछताछ की गई।
- दूसरे दौर की पूछताछ:
- ED ने संकेत दिया है कि सलूजा को फिर से बुलाया जाएगा।
- समन:
- रश्मि सलूजा को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के सेक्शन 50 के तहत समन जारी किया गया था।
- ED, कोर्ट में पेश करने से पहले इस सेक्शन के तहत आरोपी का बयान रिकॉर्ड करती है।
सितंबर में दर्ज हुई थी FIR
- ED ने सितंबर 2024 में इस मामले में FIR दर्ज की थी।
- आरोपियों में Religare के पूर्व फाइनेंस चीफ नितिन अग्रवाल और काउंसेल निशांत सिंघल के नाम भी शामिल हैं।
- FIR, Religare के शेयर होल्डर वैभव गवली के बयान के आधार पर दर्ज की गई।
फर्जी एफआईआर का आरोप
- FIR के मुताबिक, रश्मि सलूजा और Religare के अन्य अधिकारियों ने वैभव गवली को मुंबई के माटुंगा पुलिस स्टेशन में फर्जी एफआईआर दर्ज कराने के लिए उकसाया।
- गवली का आरोप:
- गवली ने अपनी शिकायत में कहा कि डाबर कंपनी का संचालन करने वाला बर्मन परिवार, Religare के पूर्व निदेशकों मालविंदर सिंह और शिविंदर सिंह की मिलीभगत से Religare के 25% शेयरों को रोक रहा था।
- इसके अलावा, 26% शेयरों को ओपन ऑफर के जरिए हासिल करने की योजना थी।
- ED ने आरोप लगाया है कि गवली को फर्जी FIR दर्ज कराने के लिए रश्मि सलूजा ने ₹2 लाख दिए।
ED की जांच का दायरा बढ़ा
- माटुंगा पुलिस स्टेशन में गवली द्वारा दर्ज कराई गई FIR की जांच के बाद ED को कई अहम सबूत मिले।
- इन सबूतों के आधार पर रश्मि सलूजा और अन्य अधिकारियों के खिलाफ शिकंजा कसता जा रहा है।
रश्मि सलूजा का रुख
इकोनॉमिक टाइम्स ने रश्मि सलूजा से संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।