कोविड 19: कोविड-19 और फेरोप्टोसिस का संबंध!

COVID-19 Side Effects: कोविड-19 संक्रमण से ठीक होने के बाद भी इससे होने वाली मौतों के मामले कम होते नहीं दिख रहे हैं। हाल ही में कोविड वैक्सीन कोविशील्ड से होने वाले हार्ट अटैक और स्ट्रोक की सच्चाई सामने आई थी। अब एक अध्ययन में कोविड मरीजों में फेफड़ों के नुकसान और मौत के पीछे की वजह का खुलासा हुआ है।

कोविड-19 के संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों में इसके साइड इफेक्ट अभी भी मौजूद हो सकते हैं। इसके कारण स्वास्थ्य में गिरावट, दिल का दौरा, स्ट्रोक और फेफड़ों के फेल होने तथा इससे होने वाली मौतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 

जर्नल नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित एक अध्ययन में  कोविड मरीजों में फेफड़ों के नुकसान के पीछे की वजह का खुलासा किया गया है। इसके अनुसार, कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के फेफड़ों की कोशिकाएं तेजी से मरने लगती हैं। इसके कारण फेफड़ों में सूजन और तीव्र श्वसन विकार जैसी जानलेवा स्थितियां पैदा हो सकती हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि फेरोप्टोसिस को रोककर कोविड-19 के कारण होने वाली फेफड़ों की बीमारियों के इलाज के लिए नए तरीके विकसित किए जा सकते हैं।

फेरोप्टोसिस क्या है? 

कोशिका मृत्यु एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें कोशिकाएँ काम करना बंद कर देती हैं। कोशिका मृत्यु के दौरान, कोशिका के अंदर के अणु टूट जाते हैं। यह प्रक्रिया बीमारी या उम्र बढ़ने के साथ मनुष्यों में स्वाभाविक रूप से होती है। लेकिन फेरोप्टोसिस कोशिका मृत्यु का एक असामान्य रूप है जिसमें कोशिकाओं की बाहरी वसा परतें टूट जाती हैं और वे मरने लगती हैं और फेफड़े कमज़ोर हो जाते हैं। 

मृत शरीर से लिया गया नमूना

अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने  यह अध्ययन किया है। उन्होंने कोविड-19 के कारण श्वसन विफलता के कारण मरने वाले रोगियों के ऊतकों का विश्लेषण किया। अध्ययन में हैम्स्टर के ऊतकों का भी विश्लेषण किया गया।

COVID-19 और फेरोप्टोसिस का संबंध 

अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि कोविड-19 से गंभीर रूप से प्रभावित मरीजों के फेफड़ों में फेरोप्टोसिस की मात्रा सामान्य से कहीं ज़्यादा होती है। यही वजह है कि उनके फेफड़े इतना ज़्यादा क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। 

कोविड-19 का इलाज मिल सकता है 

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि फेरोप्टोसिस को रोकने वाली दवाओं के विकास से कोविड-19 के उपचार में काफी मदद मिल सकती है। यह अध्ययन अभी भी अपने शुरुआती चरण में है और फेरोप्टोसिस को लक्षित करने वाली दवाओं पर अधिक शोध की आवश्यकता है। हालाँकि, यह अध्ययन कोविड-19 के उपचार के लिए एक नई दिशा दिखाता है।