महिलाओं के लिए रेड अलर्ट आपके शरीर में मौजूद ये दो हार्मोन्स अगर बेकाबू हुए, तो हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर
News India Live, Digital Desk : अक्सर हम महिलाएं अपने शरीर में हो रहे छोटे-मोटे बदलावों को "अरे, यह तो नॉर्मल है" या "थकान की वजह से होगा" कहकर टाल देते हैं। पीरियड्स का आगे-पीछे होना, अचानक वजन बढ़ना या मूड का बदलना हम इसे आम बात समझते हैं। लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स अब एक ऐसी चेतावनी दे रहे हैं जिसे हर महिला को, चाहे वो किसी भी उम्र की हो, बहुत गंभीरता से सुनना चाहिए।
वह चेतावनी है हार्मोनल इंबैलेंस (Hormonal Imbalance)। डॉक्टर्स का मानना है कि एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) हार्मोन्स का बिगड़ा हुआ संतुलन सीधे तौर पर ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के खतरे को बढ़ा सकता है।
आखिर ये हार्मोन्स करते क्या हैं?
समझने के लिए इसे आसान करते हैं। हमारे शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नाम के दो मुख्य फीमेल हार्मोन होते हैं।
- एस्ट्रोजन: इसका काम है शरीर का विकास करना और सेल्स (कोशिकाओं) को बढ़ने में मदद करना।
- प्रोजेस्टेरोन: यह सेल्स की बढ़ोतरी को कंट्रोल में रखता है।
जब तक ये दोनों दोस्त की तरह मिलकर काम करते हैं, सब ठीक रहता है। लेकिन दिक्कत तब शुरू होती है जब शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और उसे रोकने वाला प्रोजेस्टेरोन कम पड़ जाता है। मेडिकल भाषा में इसे 'एस्ट्रोजन डोमिनेंस' कहते हैं।
कैंसर से इसका क्या कनेक्शन है?
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब एस्ट्रोजन बेहिसाब बढ़ता है, तो यह ब्रेस्ट (स्तन) की कोशिकाओं को ज़रूरत से ज्यादा तेजी से बढ़ने (Multiply) का आदेश देने लगता है। जब कोशिकाएं इतनी तेज़ी से और अनियंत्रित होकर बढ़ती हैं, तो यही आगे चलकर ट्यूमर या कैंसर का रूप ले सकती हैं।
किन महिलाओं को है ज़्यादा खतरा?
वैसे तो हारमोंस कभी भी बिगड़ सकते हैं, लेकिन कुछ स्थितियां ऐसी हैं जहाँ रिस्क ज्यादा होता है:
- देर से मेनोपॉज (Late Menopause): जिन महिलाओं को 55 की उम्र के बाद पीरियड्स बंद होते हैं, उनका शरीर लंबे समय तक एस्ट्रोजन के संपर्क में रहता है।
- हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT): मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने के लिए ली जाने वाली कुछ दवाएं शरीर में आर्टिफिशियल हार्मोन्स बढ़ा देती हैं, जिससे रिस्क बढ़ सकता है।
- मोटापा और लाइफस्टाइल: शरीर का एक्स्ट्रा फैट (वसा) भी एस्ट्रोजन पैदा करता है। इसलिए ज्यादा वजन वाली महिलाओं को सतर्क रहना चाहिए।
- देर से प्रेगनेंसी: 30 साल की उम्र के बाद पहली प्रेगनेंसी प्लान करना भी हार्मोनल चक्र को प्रभावित करता है।
लक्षण, जिन्हें इग्नोर न करें (Symptoms to Watch)
सिर्फ ब्रेस्ट में गांठ होना ही निशानी नहीं है। अगर आपको शरीर में ये बदलाव महसूस हों तो डॉक्टर से मिलें:
- पीरियड्स का बहुत ज्यादा या बहुत कम होना।
- स्तनों में लगातार भारीपन या दर्द रहना।
- अचानक बहुत ज़्यादा चिड़चिड़ापन या डिप्रेशन।
- बालों का तेज़ी से झड़ना या चेहरे पर अनचाहे बाल आना।
बचने के लिए क्या करें?
घबराने की ज़रूरत नहीं है, ज़रूरत है बस थोड़ी जागरूकता की।
- एक्टिव रहें: रोज़ाना 30 मिनट वॉक या एक्सरसाइज करें, यह हार्मोन्स को नेचुरल तरीके से बैलेंस करता है।
- सही डाइट: फाइबर से भरपूर खाना खाएं और जंक फ़ूड कम करें।
- रेगुलर चेकअप: 30-35 की उम्र के बाद हर साल अपनी जाँच ज़रूर कराएं। अगर परिवार में किसी को कैंसर की हिस्ट्री है, तो और भी सतर्क रहें।
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