बुखार एक सामान्य समस्या है जो विभिन्न कारणों से हो सकता है, खासकर ठंड के मौसम में जब जुकाम और बुखार की शिकायतें बढ़ जाती हैं। सामान्यत: शरीर का तापमान लगभग 37 डिग्री सेल्सियस होता है, लेकिन जब यह 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, तो इसे बुखार माना जाता है। लोग इस समस्या से राहत पाने के लिए अक्सर दवा का सहारा लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बुखार क्यों आता है और दवा कब लेनी चाहिए? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।
बुखार क्यों आता है?
डॉ. शिव कुमार सरीन के अनुसार, बुखार किसी भी प्रकार के संक्रमण या चोट की प्रतिक्रिया के रूप में आता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप गंभीर रूप से बीमार हैं; बल्कि, बुखार शरीर की रक्षा की एक प्रक्रिया है। यह एक संकेत है कि शरीर संक्रमण से लड़ रहा है।
कब लेनी चाहिए दवाई?
विशेषज्ञों का मानना है कि आपको केवल तभी दवाई लेनी चाहिए जब बुखार 102 डिग्री फ़ारेनहाइट (39 डिग्री सेल्सियस) से अधिक हो। यदि बुखार 102 डिग्री तक है, तो आप ठंडी पट्टी का उपयोग कर बुखार को कम कर सकते हैं। जब बुखार 102 डिग्री से कम हो, तो चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। एंटीबायोटिक्स का उपयोग हर समस्या के लिए करना सही नहीं है।
क्यों न लें एंटीबायोटिक?
एंटीबायोटिक्स केवल हानिकारक बैक्टीरिया को नहीं मारते, बल्कि शरीर के अच्छे बैक्टीरिया को भी प्रभावित करते हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, लंबे समय तक एंटीबायोटिक लेने से कई बार शरीर में दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
बच्चों के मामले में विशेष ध्यान रखें
एक अध्ययन के अनुसार, छोटे बच्चों को एंटीबायोटिक देने से भविष्य में उनके लिवर में फैटी होने की समस्या हो सकती है। इसलिए बच्चों को दवाओं से दूर रखने की कोशिश करें, लेकिन सुनिश्चित करें कि सभी आवश्यक टीकाकरण समय पर कराएं।
इसलिए, बुखार के दौरान सही जानकारी और सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। अगर बुखार बढ़ता है या अन्य लक्षण गंभीर होते हैं, तो विशेषज्ञ से संपर्क करें।