भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (दिसंबर 2024) के अनुसार, देश में मध्यम और उच्च आय वर्ग के लोगों पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। 5-15 लाख और 15 लाख रुपये से अधिक सालाना आय वाले समूहों में बकाया पर्सनल लोन की हिस्सेदारी में पिछले तीन वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सितंबर 2024 तक, इन आय वर्गों में पर्सनल लोन की हिस्सेदारी क्रमशः 11% और 9% बढ़ गई है।
पर्सनल लोन: कौन सबसे ज्यादा प्रभावित?
1. 5 लाख से कम आय वाले वर्ग:
- यह वर्ग सबसे अधिक असुरक्षित पर्सनल लोन के बोझ से जूझ रहा है।
- मार्च 2023 में इस वर्ग पर 52% असुरक्षित ऋण था, जो सितंबर 2024 तक घटकर 42% रह गया।
- हालांकि, सितंबर 2024 तक, इस वर्ग की हिस्सेदारी में कोई सुधार नहीं हुआ।
2. 5-15 लाख आय वर्ग:
- इस आय वर्ग में पर्सनल लोन की हिस्सेदारी पिछले तीन वर्षों में 26% से बढ़कर 37% हो गई।
- यह वृद्धि सबसे ज्यादा चिंताजनक मानी जा रही है।
3. 15 लाख से अधिक आय वर्ग:
- इस उच्च आय वर्ग में पर्सनल लोन की हिस्सेदारी 16% से बढ़कर 25% हो गई।
- उच्च आय होने के बावजूद इस वर्ग में लोन की मांग और बकाया राशि में बढ़ोतरी देखी गई है।
आय उपलब्ध नहीं रखने वालों की स्थिति में सुधार
- नियमित आय न रखने वाले लोगों के बकाया ऋण में 20% की कमी आई है।
- बैंकों ने ऐसे लोगों को लोन देने में अतिरिक्त सतर्कता बरती है, जिससे उनकी कर्जदारी में गिरावट आई।
बैंकों की रणनीति और सावधानी
- बैंकों ने असुरक्षित पर्सनल लोन देने के मामलों में अधिक सतर्कता बरतनी शुरू की है।
- नियमित आय वाले लोगों को प्राथमिकता दी गई, जबकि अनियमित आय वाले लोगों को छोटे और कम अवधि के लोन दिए गए।
- आरबीआई के निर्देशों के बाद, बैंकों ने छोटे ऋण की वसूली को प्राथमिकता दी।
पर्सनल लोन में आय वर्ग अनुसार हिस्सेदारी (सितंबर 2021-2024)
आय वर्ग (सालाना) | सितंबर 2021 | सितंबर 2024 | हिस्सेदारी में अंतर (%) |
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5 लाख से कम | 17 | 18 | +1% |
5-15 लाख | 26 | 37 | +11% |
15 लाख से अधिक | 16 | 25 | +9% |
आय उपलब्ध नहीं | 40 | 20 | -20% |
पर्सनल लोन का भविष्य
विशेषज्ञों का मानना है कि मध्यम और उच्च आय वर्ग में बढ़ती कर्जदारी भारत की बदलती आर्थिक स्थितियों को दर्शाती है। हालांकि, बैंकों की सतर्कता और आय आधारित ऋण वितरण रणनीति इस स्थिति को सुधारने में मदद कर सकती है।