भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल बैंकिंग को और सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए एक नई पहल की है। अब RTGS (Real-Time Gross Settlement) और NEFT (National Electronic Funds Transfer) के जरिए पैसे ट्रांसफर करते समय, खाताधारक का नाम वेरिफाई करने की सुविधा उपलब्ध होगी। यह कदम उन ग्राहकों के लिए राहत लेकर आया है जो गलती से गलत खाते में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं।
क्या है नई Look-Up Facility?
- RBI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि 1 अप्रैल 2025 से पहले यह सुविधा लागू करें।
- ग्राहक अब फंड ट्रांसफर करते समय बेनिफिशियरी अकाउंट नंबर और IFSC कोड डालने के बाद, उस खाते के नाम की पुष्टि कर सकेंगे।
- यह सुविधा इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के साथ-साथ बैंक शाखाओं में भी उपलब्ध होगी।
गलत खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं होंगे
RBI के अनुसार:
- रेमिट्टर (पैसे भेजने वाला) अकाउंट होल्डर का नाम वेरिफाई कर पाएंगे।
- यह प्रक्रिया गलत खातों में पैसे भेजने की संभावना को कम करेगी।
- इससे फ्रॉड और धोखाधड़ी पर भी अंकुश लगेगा।
- बैंक कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (CBS) के जरिए खाताधारक के नाम का पता लगाएंगे।
UPI और IMPS में पहले से मौजूद है यह सुविधा
- UPI (Unified Payments Interface) और IMPS (Immediate Payment Service) में यह सुविधा पहले से ही मौजूद है।
- RTGS और NEFT में इस सुविधा के जुड़ने से डिजिटल फंड ट्रांसफर प्रक्रिया और अधिक सुरक्षित हो जाएगी।
RBI का अक्टूबर MPC बैठक में फैसला
- 9 अक्टूबर 2025 को मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक में RBI ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
- पूर्व RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि RTGS और NEFT को UPI और IMPS के समान सुरक्षित बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
- इस सुविधा के आने से:
- गलत खाते में पैसे जाने की संभावना घटेगी।
- डिजिटल फ्रॉड को रोकने में मदद मिलेगी।
RBI Look-Up Facility के लाभ
- गलत ट्रांसफर की संभावना कम:
ट्रांसफर से पहले खाताधारक का नाम वेरिफाई करने की सुविधा से ग्राहकों को गलतियों से बचने में मदद मिलेगी। - फ्रॉड पर रोक:
यह सुविधा फ्रॉडulent ट्रांजैक्शन्स की संभावनाओं को भी कम करेगी। - डिजिटल बैंकिंग में विश्वास बढ़ेगा:
ग्राहकों को डिजिटल ट्रांजैक्शन में अधिक सुरक्षा और सुविधा मिलेगी।