खूंटी, 15 जून (हि.स.)। संसदीय चुनाव के दौरान खूंटी लोकसभा क्षेत्र के प्रभारी रहे पूर्व सांसद रविंद्र राय ने कहा कि विदेशी एजेंसियां भारत में हो रहे सांस्कृतिक परिवर्तन से चिंतित हैं। यही कारण है कि भाजपा उम्मीदवार को परास्त करने के लिए उन्होंने संविधान बदलने, आरक्षण खत्म करने जैसा दुष्प्रचार किया और इस क्षेत्र के भोले-भाले ग्रामीण उनके भ्रमजाल में आ गये। विरोधी खासकर कांग्रेस और झामुमो दुष्प्रचार करने में सफल रहे। यही कारण है कि झारखंड की सुरक्षित सभी पांच सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों को पराजय का सामना करना पड़ा।
रविंद्र राय शनिवार को तोरपा के विधायक कोचे मुंडा के ममरला स्थित आवासीय परिसर में आयोजित खूंटी लोकसभा स्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विदेशी एजेंसियों द्वारा महीनों से आादिवासियों के बीच पर्चा बांटा गया, जिसमें कहा कि मोदी सरकार ने धारा 370 को जिस प्रकार खत्म कर दिया, उसी प्रकार झारखंड की अनुसूची पांच और छह में मिले आदिवासियों के अधिकार को भाजपा सरकार समाप्त कर देगी और संविधान को भी खत्म कर देगी।
राय ने कहा कि विदेशी एजेंसियां महीनों से इस दुष्प्रचार में लगी थी। उन्होंने कहा कि गांव के भोले-भाले लोगों को बरगलाया गया। विदेशी शक्तियों के साथ मिलकर कांग्रेस और झामुमो ने दुष्प्रचार किया। ऐसी शक्तियों द्वारा समाज को भ्रमित करने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा की यह परिपाटी रही है कि हार हो जीत, चुनाव परिणााम की समीक्षा की जाती है और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की राय ली जाती है। साथ ही कहा कि बैठक के दौरान हार की समीक्षा की जा रही है और उसमें सुधार किया जायेगा।
राय ने कहा कि अभी हमें बहुत जल्द विधानसभा चुनाव में जाना है। इसको लेकर तैयारी की जा रही है। चुनाव के दौरान संगठन की निष्क्रियता से इनकार करते हुए रविंद्र राय ने कहा कि जो भी वोट मिले हैं, वे समर्पित कार्यकर्ताओं की बदौलत ही मिले हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के कार्य में लगी है और हम निरंतर प्रस्तुति और परिस्थति की समीक्षा करते हैं।
इस मौके पर भाजपा के संगठन महामंत्री कमवीर सिंह, राज्यसभा सदस्य प्रदीप वर्मा, पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही, विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, विधायक कोचे मुंडा, पूर्व मंत्री बिमला प्रधान, विधायक प्रतिनिधि काशीनाथ महतो, अरुण चंद्र गुप्ता, चंद्रशेखर गुप्ता, भगीरथ राय, शशांक शेखर राय, विनोद भगत, रामानंद साहू, लक्ष्मण बड़ाईक, पुरेन्द्र मांझी, रामध्यान सिंह, श्रद्धानंद बेसरा सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।