उदयपुर से अष्टधातु की 21 फीट की हनुमान गदा लेकर तीन साल की भारत यात्रा पर निकला रथ, पाली में स्वागत

पाली, 1 जुलाई (हि.स.)। उदयपुर से निकला हनुमान गदा रथयात्रा सोमवार को पाली पहुंची तो 21 फीट की अष्टधातु से बनी हनुमान गदा देख लोग रोमांचित हो उठे। हर कोई वाहन पर रखी विशाल गदा के साथ फोटो खिंचवाने के लिए उत्साहित रहा। महिलाओं ने गदा की पूजा की और आरती उतारी। लोग गदा के पास खड़े होकर नाचते-झूमते नजर आए। पाली पहुंचने पर हनुमान गदा रथयात्रा का जगह-जगह भक्तों ने फूल बरसा कर स्वागत किया। रथयात्रा में शामिल सदस्य सोमवार रात पाली के बजरंग बाग में विश्राम करेंगे। इसके बाद मंगलवार को जत्था जोधपुर के लिए रवाना होगा। गदा का निर्माण उदयपुर की कंचन सेवा संस्थान ने कराया है।

संस्थान सदस्य डॉ. छैल बिहारी शर्मा ने बताया कि उदयपुर में भटेवर-मेनार के बीच एयरपोर्ट रोड पर रुंडेडा गांव में हनुमान धाम तैयार हो रहा है। यहीं मूर्तिकार 84 फीट की 11 मुखी हनुमान प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं। 84 लाख योनियों के प्रतीक के रूप में हनुमान प्रतिमा की ऊंचाई 84 फीट तय की गई है। उन्होंने कहा-यह विश्व की एकमात्र 11 मुखी हनुमान प्रतिमा होगी। प्रतिमा के लिए अष्टधातु निर्मित 21 फीट की गदा एक साल में बनकर तैयार हुई है। गदा का निर्माण भी कारीगरों ने हनुमान धाम (उदयपुर) में ही किया था। सितंबर 2023 में उदयपुर के रुंडेडा गांव स्थित धाम से हनुमान गदा के साथ रथयात्रा रवाना हुई थी। उदयपुर से डूंगरपुर- भीलवाड़ा- बांसवाड़ा- राजसमंद होते हुए रथयात्रा पाली पहुंची है। इससे आगे यात्रा जोधपुर जाएगी। रथयात्रा भारत भ्रमण पर निकली है। इसे दोबारा उदयपुर पहुंचने में 3 साल लगेंगे। 2027 में रथयात्रा हनुमान धाम (उदयपुर) पहुंचकर पूरी होगी।

संस्थान सदस्य डॉ. छैल बिहारी शर्मा ने बताया कि हनुमान धाम में दुनिया की सबसे बड़ी हनुमान प्रतिमा स्थापित होने जा रही है। हनुमान प्रतिमा के लिए ही अष्टधातु की गदा बनवाई गई है। गदा का वजन 1001 किलो है। प्रतिमा बनने के बाद इसे अटैच किया जाएगा। सिरोही जिले के शिवगंज से अयोध्या के लिए रवाना हुआ पंचधातु से निर्मित धनुष और गदा 13 जून को पाली से होकर शिवगंज की श्रीजी सनातन सेवा संस्थान के नेतृत्व में निकला था। राम धनुष की लम्बाई 11 फीट, चौड़ाई 31 फीट और वजन 1100 किलो है और हनुमान गदा की लम्बाई 26 फीट और चौड़ाई 12 फीट और वजन 1600 किलो है। यह यात्रा 17 जून को अयोध्या पहुंची थी।