जयपुर, 27 मई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के चलते गर्भवती हुई पीडिता को 28 सप्ताह के गर्भपात की अनुमति दी है। अदालत ने महिला चिकित्सालय, जयपुर की अधीक्षक को निर्देश कि पीडिता की सहमति के बाद उसके गर्भपात के लिए उचित व्यवस्था करे। अदालत ने कहा है कि यदि इस दौरान भ्रूण जीवित मिलता है तो उसकी उचित देखरेख की जाए। इसके अलावा अन्य स्थिति में साक्ष्य सुरक्षित रखने के लिए कार्रवाई की जाए। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश बीस वर्षीय दुष्कर्म पीडिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को कहा है कि वह आर्थिक सहित अन्य आवश्यक सहायता याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराए।
याचिका में अधिवक्ता सतीश कुमार ने बताया कि याचिकाकर्ता दुष्कर्म पीडिता है और इस अपराध के चलते गर्भवती हुई है। वर्तमान में वह 28 सप्ताह की गर्भवती है। गर्भपात अधिनियम के तहत बीस सप्ताह तक ही गर्भपात की अनुमति है। ऐसे में यदि उसे अवांछित संतान को जन्म देने के लिए मजबूर किया जाता है तो इससे याचिकाकर्ता के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पडेगा। याचिकाकर्ता बालिग है और उसे इस स्तर पर गर्भपात कराने पर होने वाले उच्च जोखिम की जानकारी है। इसके बावजूद भी वह इस संबंध में अपनी सहमति देने को तैयार है। ऐसे में उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए। सुनवाई के दौरान अदालती आदेश के पालना में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पेश की गई। जिसमें आया कि पीडिता के गर्भ की अवधि कानून में तय समय सीमा से अधिक है। ऐसे में हाईकोर्ट के निर्देश पर उच्च जोखिम की सहमति मिलने पर पीडिता का गर्भपात किया जा सकता है। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को गर्भपात की अनुमति दी है।