रांची डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने सरकार को पत्र लिखकर कहा, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

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रांची, 5 अक्टूबर (हि.स.)। रांची डीसी बनाए जाने के बाद से आईएएस मंजूनाथ भजंत्री एक बार फिर सुखिर्याें में हैं। चुनाव आयोग की राज्य सरकार को चिट्ठी के बाद मंजूनाथ भजंत्री सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने इस बात की जानकारी सरकार को चिट्ठी लिखकर दी है।

चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखकर मंजूनाथ भजंत्री को रांची का डीसी बनाए जाने पर आपत्ति जतायी है। आयोग का कहना है कि ऐसा होना हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। देवघर जिले के मधुपुर उपचुनाव के दौरान चुनाव आयोग की तरफ से तत्कालीन डीसी मंजूनाथ भजंत्री को चुनाव संबंधी कार्यों से दूर रहने का निर्देश दिया था। अब रांची डीसी बनने के बाद फिर से इस मामले ने तूल पकड़ा है।

इधर, सरकार की तरफ से कार्मिक विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। कार्मिक विभाग की तरफ से मुख्य सचिव को मामले से संबंधी सभी कागजात भेज चुकी है। आने वाले दिनों में संभवतः मुख्य सचिव या कार्मिक की तरफ से चुनाव आयोग को मामले से जुड़ी कार्रवाई के बारे में जानकारी दी जाए। कार्मिक की तरफ से मुख्य सचिव को भेजे गए फाइल में यह भी कहा गया है कि मामले पर सरकार अपनी तरफ से निर्णय ले।

उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने मधुपुर उपचुनाव में तत्कालीन देवघर डीसी द्वारा आयोग के वोटर टर्न आउट अप और प्रेस कॉन्फ्रेंस में अलग-अलग आंकड़ा पेश किए जाने की वजह से उन्हें 26 अप्रैल, 2021 को उपायुक्त के पद से हटा दिया था। चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद सरकार ने उन्हें फिर से देवघर डीसी के पद पर स्थापित करने का आदेश दिया था। इसके करीब छह महीने बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने आयोग को रिपोर्ट भेजकर यह जानकारी दी कि डीसी ने चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद आचार संहिता उल्लंघन के आरोप में सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।

आयोग ने इस पर उपायुक्त से स्पष्टीकरण पूछा। जवाब संतोषप्रद नहीं होने की वजह से छह दिसंबर, 2021 को आयोग ने उपायुक्त को हटाने और भविष्य में आयोग की अनुमति के बिना चुनाव से जुड़े काम में पदस्थापित नहीं करने का आदेश दिया। इसके बाद 23 दिसंबर, 2021 को कार्मिक विभाग की ओर से आयोग के एक पत्र लिखकर कहा गया कि आयोग अपना आदेश वापस ले। क्योंकि, आचार संहिता समाप्त होने के बाद इस तरह का आदेश देने का अधिकार आयोग को नहीं है।