राम माधव: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राम माधव के नाम पर इस समय चर्चा जोर-शोर से चल रही है. चर्चा है कि उन्हें जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया जा सकता है. हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर बहस तेज है. माना जा रहा है कि कश्मीर मुद्दे पर राम माधव की गहरी समझ और अनुभव को देखते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है। केंद्र सरकार जल्द ही जम्मू-कश्मीर के अलावा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के राज्यपालों को बदल सकती है। हालाँकि, इस संभावित बदलाव के बारे में अभी तक आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। मिली जानकारी के मुताबिक ये बदलाव इसी अक्टूबर या नवंबर के अंत में हो सकते हैं.
जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नई सरकार बनी
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए थे. नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नई सरकार ने बुधवार को यहां सत्ता संभाली। भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए राम माधव को अहम भूमिका में रखा. वह कश्मीर में पार्टी के लिए हमेशा एक अहम चेहरा रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर मामले में राम माधव की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने पीडीपी और बीजेपी के बीच गठबंधन में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी. धारा 370 को निरस्त करने की योजना भी उन्हीं के मार्गदर्शन में तैयार की गई, जो कश्मीर के इतिहास में एक बड़ा मोड़ साबित हुई। उनका अनुभव और समझ कश्मीर के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
22 अगस्त 1964 को आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में जन्मे राम माधव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और उसके बाद राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर किया। वह पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे। संघ से ही वह भारतीय जनता पार्टी में आए और धीरे-धीरे प्रमुख राजनीतिक पदों पर आसीन हुए। उनका राजनीतिक अनुभव कश्मीर से लेकर उत्तर-पूर्वी राज्यों तक फैला हुआ है.