पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को राष्ट्रीय एकता और सामाजिक न्याय की दिशा में ‘‘बेहद महत्वपूर्ण’’ कदम बताया और इसके क्रियान्वयन से पहले आम सहमति बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
राज्यसभा सदस्य गोगोई ने रविवार को ‘सूरत लिटफेस्ट 2025’ में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि बार-बार चुनाव होने से शासन प्रभावित होता है, प्रशासन और वित्तीय दबाव बढ़ता है।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं समान नागरिक संहिता को एक बहुत ही प्रगतिशील कानून के रूप में देखता हूं, जो विभिन्न पारंपरिक प्रथाओं को बदलने का काम करेगा।’’ गोगोई ने कहा कि इस पर कोई बहस नहीं है कि यह एक संवैधानिक लक्ष्य है और अनुच्छेद 44 में इसका उल्लेख है।
उन्होंने बताया कि अगर यूसीसी लागू किया जाता है, तो इससे सभी नागरिकों के लिए एक समान व्यक्तिगत कानून होगा, चाहे उनकी आस्था कुछ भी हो। यह विवाह, तलाक, गोद लेने, विरासत और भरण-पोषण जैसे मामलों पर लागू होगा। भारत में समान नागरिक संहिता भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के लगातार चुनावी घोषणापत्रों में एक प्रमुख मुद्दा रहा है।
गोगोई ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह राष्ट्रीय एकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा और सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए जरूरी है। हमें यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसका धर्म के पालन से संबंधित अनुच्छेद 25 और 26 के साथ कोई टकराव नहीं है।’’
सत्र के दौरान गोगोई ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े ‘ऑर्गनाइजर’ के संपादक प्रफुल्ल केतकर के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। गोगोई ने कहा कि गोवा में यूसीसी शानदार तरीके से लागू हो रही है और हमें ‘‘आम सहमति बनाने और गलत सूचनाओं को रोकने’’ की जरूरत है।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यूसीसी का धर्म से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय ने शाहबानो मामले से लेकर मुस्लिम महिलाओं के गुजारा भत्ता के अधिकार से संबंधित पांच मामलों में कहा था कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
गोगोई ने बताया कि समान नागरिक संहिता देश को एकजुट करने और विभिन्न नागरिक और व्यक्तिगत मामलों से संबंधित लंबित मामलों को हल करने का एक तरीका हो सकती है, जो सामाजिक न्याय को प्रभावित करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं सरकार और सांसदों से अनुरोध करूंगा कि वे इस प्रक्रिया में जल्दबाजी न करें। पहले आम सहमति बनाएं। लोगों को यह समझाएं कि यूसीसी वास्तव में क्या है। जब आप आम सहमति बना लेंगे, तो लोग इसे समझ जाएंगे। हालांकि, एक वर्ग हमेशा इसे न समझने का दिखावा करेगा।’’
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव पर गोगोई ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके और अन्य चार-पाँच पूर्व प्रधान न्यायाधीशों की राय मांगी थी, और उन्होंने इस विचार का समर्थन किया था।