Rajasthan Excise Policy : शराब के ठेके रात 11 बजे तक खोलो - राजस्थान में विधायकों ने क्यों उठाई यह अजीब मांग?
News India Live, Digital Desk : एक तरफ जहां देश के कई हिस्सों में शराबबंदी की मांग उठती रहती है, वहीं राजस्थान विधानसभा से एक बिल्कुल उल्टी और अनोखी मांग सामने आई है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है. यहां के कुछ विधायकों ने सरकार से कहा है कि शराब की दुकानों को रात 8 बजे बंद करने का नियम 'गलत' है. उनका तर्क है कि जब रेस्टोरेंट और बार रात 11-12 बजे तक खुले रह सकते हैं, तो शराब की दुकानों को जल्दी क्यों बंद किया जाता है?
विधायकों ने मांग की है कि शराब के ठेकों को भी रात 11 बजे तक खुला रखा जाना चाहिए. यह मांग किसी और ने नहीं, बल्कि सत्ताधारी दल बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों के विधायकों ने मिलकर उठाई है.
क्या तर्क दे रहे हैं विधायक?
इस अजीब सी मांग के पीछे विधायकों ने बड़े मज़ेदार और 'फायदे' वाले तर्क दिए हैं:
- अवैध शराब पर लगेगी रोक: बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा ने कहा, "8 बजे दुकानें बंद होने के बाद अवैध शराब का धंधा शुरू हो जाता है. लोग चोरी-छिपे महंगी और ज़हरीली शराब बेचते हैं. अगर दुकानें ही 11 बजे तक खुली रहेंगी, तो लोग वहीं से खरीदेंगे और अवैध शराब का कारोबार बंद हो जाएगा."
- सरकार का बढ़ेगा खज़ाना: उन्होंने दूसरा बड़ा तर्क दिया कि इससे सरकार की ही कमाई बढ़ेगी. उनका कहना है, "जब दुकानें ज़्यादा देर तक खुलेंगी, तो बिक्री भी ज़्यादा होगी. इससे सरकार को मिलने वाला टैक्स (आबकारी राजस्व) भी बढ़ेगा, जिससे प्रदेश का ही भला होगा."
- यह तो दोहरा मापदंड है: कांग्रेस विधायक हरीश मीना ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा, "यह तो दोहरा मापदंड है. आप एक तरफ होटलों और बार को देर रात तक शराब परोसने की इजाज़त दे रहे हैं, लेकिन एक आम आदमी को दुकान से खरीदने पर रोक लगा रहे हैं. यह सही नहीं है."
क्या सरकार मानेगी यह मांग?
यह पहली बार नहीं है जब राजस्थान में ऐसी मांग उठी है. इससे पहले भी कई बार शराब की दुकानों का समय बढ़ाने की वकालत की जा चुकी है. हालांकि, आबकारी मंत्री जब्बर सिंह सांखला ने सदन में साफ कहा कि फिलहाल दुकानों का समय बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.
लेकिन जिस तरह से सत्ता और विपक्ष, दोनों के ही विधायक इस मुद्दे पर एक साथ आ गए हैं, उससे यह तो तय है कि यह मामला अभी शांत नहीं होने वाला. अब देखना यह होगा कि क्या सरकार 'राजस्व' को ध्यान में रखकर इस अनोखी मांग पर विचार करती है, या फिर समाज पर पड़ने वाले असर को देखते हुए इसे नज़रअंदाज़ कर देती
--Advertisement--