इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को चार सप्ताह का समय दिया है । मंत्रालय ने इस मामले में आठ सप्ताह का समय मांगा था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया और चार सप्ताह के भीतर इस पर निर्णय लेने को कहा। आरोप है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता भी है और यह सवाल पिछले कई वर्षों से चर्चा में है। इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसकी सुनवाई उच्च न्यायालय में चल रही है।
19 दिसंबर को पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को 24 मार्च को कोर्ट में की गई कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया था, लेकिन केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकी। यह जनहित याचिका कर्नाटक के सामाजिक कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर द्वारा दायर की गई है। इसके अनुसार, राहुल गांधी भारत और ब्रिटेन दोनों के नागरिक हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 84 (ए) के तहत चुनाव लड़ने की पात्रता के मानदंड का उल्लंघन है। यदि यह बात साबित हो जाती है तो राहुल गांधी अपनी संसद सदस्यता खो सकते हैं।
जनहित याचिका में क्या कहा गया?
आपको बता दें कि पिछले साल 1 जुलाई 2024 को भाजपा नेता और वकील एस विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता भी है। याचिकाकर्ता ने 2022 में ब्रिटिश सरकार के एक गुप्त ईमेल का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया था। याचिका में उन्होंने भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9(2) के तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की भी मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि उन्होंने अपनी ब्रिटिश नागरिकता छिपाकर रायबरेली से चुनाव लड़ा था, इसलिए उनका निर्वाचन भी रद्द किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि उन्होंने कई सक्षम प्राधिकारियों के समक्ष मामला उठाया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई और इसलिए उन्हें जनहित याचिका का सहारा लेना पड़ा।