R Madhavan's apt advice on language dispute: जहाँ रहो, वहाँ की भाषा सीखो, तभी खुलेंगे सफलता के द्वार
News India Live, Digital Desk: R Madhavan's apt advice on language dispute: फिल्म जगत के हरफनमौला कलाकार आर माधवन अपनी बेबाक राय के लिए भी जाने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने भाषाओं को लेकर चल रहे विवाद पर अपनी राय व्यक्त की है, जिसने एक नई बहस छेड़ दी है। माधवन का मानना है कि सफलता पाने और स्थानीय संस्कृति में घुलने-मिलने के लिए उस क्षेत्र की भाषा सीखना बेहद ज़रूरी है, जहाँ आप रह रहे हैं या काम कर रहे हैं। उनका यह तर्क भाषा के 'मुकाबले' से इतर, एक व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करता है।
उन्होंने मिसाल देते हुए समझाया कि यदि आप महाराष्ट्र में हैं तो मराठी सीखना फायदेमंद होगा, अगर तमिलनाडु में हैं तो तमिल, और अगर आप व्यापक पहुंच चाहते हैं तो हिंदी सीखना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह देश के बड़े हिस्से में बोली जाती है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत में भाषा को लेकर संवेदनशील चर्चाएँ तेज़ हैं, और माधवन का यह दृष्टिकोण शायद इस बहस को एक नई दिशा दे सकता है।
अपनी बात को साबित करने के लिए, माधवन ने अपने व्यक्तिगत अनुभव का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उनकी फिल्म 'अलायपायुते' (Alaipayuthey) के लिए उन्होंने तमिल भाषा सीखी, जिससे उन्हें दक्षिण भारतीय सिनेमा में एक मज़बूत foothold मिला। ठीक उसी तरह, जब उन्हें बॉलीवुड में काम मिला, तो उन्होंने हिंदी पर अपनी पकड़ मज़बूत की, जिसने उन्हें हिंदी भाषी दर्शकों के साथ सीधे जुड़ने में मदद की। उनका यह सफ़र दर्शाता है कि कैसे भाषा का ज्ञान किसी भी कलाकार या व्यक्ति के लिए नए दरवाज़े खोल सकता है।
माधवन का यह संदेश सिर्फ भाषा विवाद पर एक टिप्पणी नहीं, बल्कि एक प्रगतिशील सोच को दर्शाता है। उनका मानना है कि भाषाओं का ज्ञान सीमाओं को तोड़कर नए अवसर पैदा करता है, और एक कलाकार या किसी भी व्यक्ति को विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद करता है। उनके अनुसार, भाषाओं के बीच कोई श्रेष्ठता की जंग नहीं होनी चाहिए, बल्कि उन्हें एक-दूसरे को समझने और जोड़ने के पुल के रूप में देखा जाना चाहिए। यह सलाह न केवल बॉलीवुड या फिल्म इंडस्ट्री के लिए, बल्कि भारत जैसे भाषाई विविधता वाले देश के हर नागरिक के लिए प्रासंगिक है।
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