अमृतसर: पंजाब में खनूरी और शंभू बॉर्डर पर किसानों के धरने के बीच सोमवार को सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक पंजाब बंद का ऐलान किया गया। इस बंद के कारण राज्य में सड़क और रेल परिवहन पर बड़ा असर पड़ा। इस आंदोलन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने किया है।
पंजाब बंद को मिला भारी समर्थन
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि पंजाब बंद को लोगों का व्यापक समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि राज्य में 280 से अधिक स्थानों पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं, जिससे सड़क और रेल यातायात पूरी तरह बाधित हो गया। उन्होंने दावा किया कि सुबह से लगभग 90-99% सड़कें ट्रैफिक रहित रहीं, जो बंद की सफलता को दर्शाता है।
शांतिपूर्ण आंदोलन की अपील
पंधेर ने जोर देकर कहा कि बंद के दौरान आपातकालीन सेवाओं को बाधित नहीं किया गया। एंबुलेंस, शादियों, एयरपोर्ट जाने वाले यात्रियों और नौकरी पर जाने वाले लोगों को आने-जाने की अनुमति दी गई। उन्होंने लोगों से किसी भी तरह के विवाद या हिंसा से बचने और बंद को शांतिपूर्ण बनाए रखने की अपील की।
किसान आंदोलन की मांगें
पंजाब के किसान 13 फरवरी, 2024 से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अपनी मांगों को लेकर हरियाणा सीमा के पास संगरूर जिले में खनूरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं। प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल, जो 24 फसलों के एमएसपी की गारंटी के लिए संघर्षरत हैं, कई दिनों से भूख हड़ताल पर हैं।
ट्रेन और सड़क सेवाओं पर असर
किसान आंदोलन के चलते पंजाब में अधिकांश ट्रेन सेवाएं ठप रहीं। शंभू रेलवे स्टेशन पर भी नाकेबंदी जारी है। पंधेर ने बताया कि बंद के दौरान ट्रेन सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित रहीं, लेकिन आपातकालीन सेवाएं चालू रखी गईं।
किसानों की अपील
किसान नेताओं ने पंजाब के 3 करोड़ लोगों से आंदोलन का समर्थन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन केवल किसानों की नहीं, बल्कि पूरे पंजाब के हितों की लड़ाई है। पंधेर ने कहा कि यह बंद शांतिपूर्ण और सफल रहा और उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान देगी।
यह आंदोलन पंजाब में किसानों के हक और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर चल रही एक बड़ी लड़ाई को दर्शाता है।