Punjab: सीएम मान ने बताया लैंड पूलिंग नीति से दीर्घकालिक फायदा उठाने का रास्ता

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News India Live, Digital Desk: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवजा लेने के तरीके में बड़े बदलाव की घोषणा की है। उन्होंने अपनी लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत किसानों को नगद मुआवजे की बजाय विकसित भूमि देने की बात कही है, और साथ ही इस नई व्यवस्था के गलत इस्तेमाल से बचने का रास्ता भी सुझाया है।

मुख्यमंत्री मान ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि जब किसानों की जमीन अधिग्रहित की जाती है, तो उन्हें मिलने वाला नकद मुआवजा जल्दी खर्च हो जाता है, जिससे उनकी अगली पीढ़ियों के पास न तो जमीन बचती है और न ही आय का कोई स्थायी स्रोत। इसी समस्या से निजात पाने के लिए सरकार यह अभिनव नीति ला रही है।

इस नई लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत, जिन किसानों की जमीन किसी औद्योगिक या आर्थिक विकास परियोजना (जैसे थर्मल प्लांट, औद्योगिक ज़ोन, या बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ) के लिए ली जाएगी, उन्हें प्रति एकड़ के बदले में एक चौथाई से पांचवे हिस्से यानी 25-20% हिस्से के बराबर विकसित ज़मीन जैसे एक कमर्शियल या रिहायशी प्लॉट मिलेगी। मान का मानना है कि यह किसानों को विकास प्रक्रिया में भागीदार बनाएगा, सिर्फ लाभार्थी नहीं। इससे उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी और वे अपनी अगली पीढ़ियों के लिए संपत्ति छोड़ सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने जोर दिया कि इस नीति का मकसद किसानों को तुरंत पैसा देने के बजाय दीर्घकालिक लाभ देना है। इसलिए, उन्होंने इसके गलत इस्तेमाल को रोकने का भी तरीका बताया। मान ने कहा कि यदि किसान तुरंत इस विकसित भूखंड को बेच देते हैं, तो यह नीति अपना उद्देश्य खो देगी। इसे रोकने के लिए, जमीन अधिग्रहण के समय किसान को कोर्ट या कलेक्ट्रेट में यह लिखित में शपथपत्र देना होगा कि वह अधिग्रहित ज़मीन के बदले में मिली विकसित ज़मीन का इस्तेमाल स्वयं अपने व्यवसाय या निजी विकास के लिए करेगा, उसे तुरंत बेचकर सिर्फ पैसा कमाने की कोशिश नहीं करेगा। जो किसान तुरंत बेचकर सिर्फ पैसा लेना चाहेंगे, उन्हें इस नीति का लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि उन्हें पारंपरिक मौद्रिक मुआवजा ही दिया जाएगा।

उन्होंने पंजाब राज्य विद्युत बोर्ड PSEB या भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड BBMB जैसी पुरानी अधिग्रहण नीतियों का उदाहरण दिया जहाँ नौकरियों या अन्य सुविधाएं दी गई थीं। इस नीति का उद्देश्य किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें भविष्य के लिए स्थायी आय का स्रोत प्रदान करना है, जिससे वे अपने जीवन भर सुरक्षित महसूस कर सकें। यह कदम भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवादों को कम करने और किसानों के हित सुनिश्चित करने में मददगार साबित होगा।

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