पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में हर दिन लगभग 90 याचिकाएं ऐसी आती हैं, जिनमें घर से भागकर शादी करने वाले प्रेमी जोड़े सुरक्षा की मांग करते हैं। ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जस्टिस संदीप मुद्गिल की बेंच ने 12 गाइडलाइंस जारी की हैं, ताकि पुलिस और प्रशासन ऐसे मामलों को प्राथमिकता के साथ निपटा सकें। बेंच ने कहा कि इससे अदालत का लगभग 4 घंटे प्रतिदिन बचाया जा सकता है, जो इस तरह की याचिकाओं की सुनवाई में लगते हैं।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका को किया स्पष्ट
- जिम्मेदारी का निर्धारण:
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में पहला कदम पुलिस और प्रशासन को उठाना चाहिए।- पुलिस को तुरंत शेल्टर और सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।
- अदालत को अंतिम विकल्प के रूप में देखा जाना चाहिए।
- नोडल अधिकारी की नियुक्ति:
- हर जिला मुख्यालय पर एक नोडल अधिकारी तैनात किया जाएगा।
- अधिकारी की रैंक एएसआई (असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर) से नीचे नहीं होनी चाहिए।
- यह व्यवस्था पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में लागू होगी।
अदालत का समय बचाने की पहल
- वर्तमान स्थिति:
- हाई कोर्ट ने बताया कि हर दिन इस तरह की याचिकाओं की सुनवाई में 4 घंटे लगते हैं।
- पहले से ही अदालत पर पुराने और पेंडिंग केसों का बोझ है।
- गाइडलाइंस का उद्देश्य:
- पुलिस और प्रशासन के जरिए शुरुआती स्तर पर इन मामलों को हल करना।
- कोर्ट का समय लंबित मामलों को सुलझाने में उपयोग करना।
संवैधानिक अधिकारों की रक्षा
- आर्टिकल 21 का महत्व:
- संविधान का आर्टिकल 21 हर व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
- यदि प्रेम विवाह या उससे जुड़े फैसले के कारण किसी की जान को खतरा है, तो प्रशासन का दायित्व है कि वह उन्हें सुरक्षा प्रदान करे।
- न्यायालय की भूमिका:
- कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अदालतें नागरिकों को उनकी सुरक्षा और अधिकार दिलाने के लिए हैं।
- लेकिन हर मामले में सीधे अदालत का रुख करना समस्या का समाधान नहीं है।
गाइडलाइंस का प्रभाव
- अदालत पर बोझ घटेगा:
- गाइडलाइंस लागू होने के बाद पुलिस और प्रशासन के जरिए मामलों का प्राथमिक स्तर पर निपटारा हो सकेगा।
- कोर्ट का समय लंबित मामलों को हल करने में उपयोग होगा।
- प्रेमी जोड़ों को राहत:
- ऐसे जोड़ों को तुरंत सुरक्षा और शेल्टर मिलेगा।
- उन्हें बार-बार अदालत जाने की जरूरत नहीं होगी।