टोरंटो: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का मामला अब दूसरे देशों में भी सामने आ रहा है. इससे पहले ब्रिटेन की संसद ने हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की निंदा की थी. जिसके बाद अमेरिका ने भी दोनों देशों से बातचीत से हल निकालने को कहा था. ऐसे में अन्य देशों में भी विरोध शुरू हो गया है. कनाडा में बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंदू सड़कों पर उतर आए. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि अत्याचारों के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश से भी हिंदू कम हो जाएंगे।
कनाडा के टोरंटो में बांग्लादेश के उच्चायोग के खिलाफ हिंदुओं ने विरोध प्रदर्शन किया. उनमें से कुछ ने कहा कि बांग्लादेश से हिंदुओं को मिटाने के लिए खुलेआम उन पर हिंसा की जा रही है. ये हिंसा बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चला रहे मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं. भारत में बांग्लादेश के मुद्दे पर भी चर्चा चल रही है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई. आरएसएस ने केंद्र सरकार से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेडकर ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे. नागपुर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जो हो रहा है, उससे हर हिंदू को गुस्सा होना चाहिए.
दूसरी ओर, बांग्लादेश ने स्वीकार किया कि शेख हसीना के शासन के अंत के बाद से हिंदुओं पर हमले की 88 घटनाएं सामने आई हैं। यूनुस सरकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि हिंसा की इन घटनाओं के सिलसिले में कुल 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. बांग्लादेश दौरे पर गए भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संसदीय समिति को बताया कि मेरे दौरे के दौरान बांग्लादेश ने हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है. यह जानकारी समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने दी.
भारत में मुस्लिम समुदाय के नेताओं और मौलवियों ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न पर चिंता व्यक्त की है। उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार चौंकाने वाले हैं, ऐसे अत्याचार और अन्याय न केवल अभूतपूर्व हैं बल्कि शांति और भाईचारे के सिद्धांतों के भी खिलाफ हैं। बांग्लादेश की एक अदालत ने गिरफ्तार इस्कॉन पुजारी चिन्मय दास की जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है। वकील रोबिंदा घोष ने चिन्मय दास के खिलाफ मामले में अपनी जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए आवेदन किया था, हालांकि एक अन्य वकील ने न्यायाधीश को बताया कि चिन्मय दास ने घोष को अपनी ओर से पैरवी करने की अनुमति नहीं दी थी, इसलिए अदालत ने याचिका खारिज कर दी, अब इस मामले की सुनवाई हो रही है 2 जनवरी को आएंगे.