प्रॉपर्टी का मालिकाना हक सिर्फ पैसे देने और कब्जा लेने से नहीं मिलता: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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अक्सर लोग यह समझते हैं कि अगर उन्होंने किसी संपत्ति की कीमत का भुगतान कर दिया और उसका कब्जा ले लिया, तो वे उस प्रॉपर्टी के मालिक बन जाएंगे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस सोच को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि प्रॉपर्टी के मालिकाना हक के लिए जरूरी है कि सेल डीड का रजिस्ट्रेशन हो। केवल पेमेंट करना और कब्जा लेना पर्याप्त नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जब तक संपत्ति की सेल डीड रजिस्टर्ड नहीं होती, तब तक प्रॉपर्टी का मालिकाना हक ट्रांसफर नहीं होता। इसका मतलब यह है कि प्रॉपर्टी खरीदते समय सेल डीड का पंजीकरण बेहद जरूरी होता है।

यह फैसला ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 1882 की धारा 54 के तहत दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि 100 रुपये या उससे अधिक कीमत की अचल संपत्ति की बिक्री तभी वैध होगी जब उसका दस्तावेज पंजीकृत हो।

इस फैसला से उन डीलरों और बिचौलियों को झटका लगा है जो केवल पावर ऑफ अटॉर्नी या वसीयत के आधार पर प्रॉपर्टी सौदे करते हैं और बिना रजिस्टर्ड सेल डीड के कब्जा दिलवा देते हैं। ऐसे में कई बार विवाद और धोखाधड़ी होगी।

इसलिए प्रॉपर्टी खरीदते समय ध्यान रखें:

हमेशा सेल डीड को रजिस्टर करवाएं।

केवल भुगतान और कब्जा लेना मालिकाना हक का दावा नहीं बनाता।

बिना रजिस्टर्ड दस्तावेज के प्रॉपर्टी का वैध मालिकाना हक नहीं मिलेगा।

यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रॉपर्टी संबंधी विवादों को कम करेगा और खरीदारों को कानूनी सुरक्षा देगा। प्रॉपर्टी लेन-देन में सावधानी बरतना जरूरी है ताकि भविष्य में आपका अधिकार सुरक्षित रहे।

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