टीबी मरीजों को गोद लेने में आगे आ रहे निजी चिकित्सालय, 51 मरीजों को लिया गोद

वाराणसी,10 मई (हि.स.)। टीबी मुक्त भारत अभियान अब रंगत में आने लगा है। जनपद के निजी चिकित्सालय भी अभियान में टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए लगातार आगे आ रहे हैं। पिछले माह छह निजी चिकित्सालयों ने ड्रग सेंस्टेटिव ट्यूबर्क्लोसिस (डीएसटीबी) के 51 नए मरीजों को गोद लिया। ये अस्पताल इन मरीजों के उपचार व पोषण में सहयोग करेंगे।

इसके अलावा गैर सरकारी संस्थाएं (एनजीओ) समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी टीबी रोगियों को गोद लेकर उन्हें उपचार व पोषण में सहयोग करने के साथ ही भावनात्मक सहयोग भी कर रहे हैं। शुक्रवार को ये जानकारी सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने दी।

उन्होंने बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) वाराणसी शाखा ने 25 नए मरीजों को गोद लेकर उनके पोषण में सहयोग करने का दावा किया है। हील फ़ाउंडेशन के सदस्य व कुवैत निवासी निशांत परासर ने भी प्रेरित होकर भेलूपुर टीबी यूनिट के पाँच मरीजों को गोद लेकर उनके पोषण में मदद करने संकल्प लिया है। स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सीएमओ डॉ मुईजुद्दीन हाशमी ने भी 10 टीबी मरीजों को गोद लिया है। खुद सीएमओ ने 10 और डीटीओ ने 5 टीबी मरीजों को गोद लिया है। इन सभी मरीजों का छह माह तक उपचार चलता है। इस दौरान उन्हें पोषण पोटली भी प्रदान की जाती है।

सीएमओ और डीटीओ के द्वारा गोद लिए गए मरीजों का उपचार पूरा होते ही दूसरे मरीजों को गोद लेकर उनके उपचार व पोषण में सहयोग किया जा रहा है। साथ ही हर माह की 15 तारीख को मनाए जाने वाले निक्षय दिवस पर गोद लिए मरीजों से मुलाक़ात कर उन्हें भावनात्मक सहयोग भी दे रहे हैं। सीएमओ ने कहा कि टीबी का इलाज पूरी तरह से संभव है। लेकिन इसके लिए नियमित दवा सेवन और देखभाल भी बेहद जरूरी है। सभी शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों और चिकित्सालयों में टीबी जांच की सुविधा उपलब्ध है। इसके लक्षण नजर आते ही तत्काल जांच करानी चाहिए।

डीटीओ डॉ पीयूष राय ने बताया कि टीबी नोटिफिकेशन अधिक होने के साथ ही रोगियों का सफलतापूर्वक उपचार पूरा करना भी आवश्यक है। वर्तमान में जनपद का टीबी सक्सेस रेट 91 प्रतिशत है। अभी 7674 टीबी रोगी उपचार पर हैं।