शिमला, 7 मई (हि.स.)। देश की प्रथम नागरिक व राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को शिमला के ऐतिहासिक तारादेवी मंदिर में शीश नवाया और पूजा-अर्चना की। वह तारादेवी मंदिर में दर्शन करने वाली पहली राष्ट्रपति बनीं हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु हिमाचल प्रदेश में पांच दिवसीय प्रवास पर हैं। वह 4 मई को शिमला पहुंची थीं। शिमला के समीप छराबड़ा में राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास द रिट्रीट में रुकी हैं। अपने प्रवास के चौथे दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का काफिला करीब सवा 12 बजे तारादेवी मंदिर पहुंचा। राष्ट्रपति मुर्मू ने मंदिर में शीश नवाया और पूजा-अर्चना की। मंदिर के मुख्य पुजारी ने दस महाविद्याओं में से एक माता तारा की विशेष पूजा करवाई। राष्ट्रपति को माता की चुन्नी और प्रसाद दिया गया। राष्ट्रपति के साथ परिवार के अन्य सदस्य भी साथ थे। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
खास बात यह रही कि राष्ट्रपति ने मंदिर कमेटी की ओर से आयोजित भण्डारा में प्रसाद भी ग्रहण किया। मान्यता है कि तारा माता शिमला की जुन्गा रियासत के राजा की कुलदेवी हैं। यह ऐतिहासिक मंदिर शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर समुद्रतल से 7200 फीट की ऊंचाई पर स्थापित है।तारादेवी मंदिर में प्रत्येक मंगलवार और रविवार को भंडारे का आयोजन होता है। इस अवसर पर, मंदिर कमेटी ने राष्ट्रपति को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया।
इससे पहले राष्ट्रपति ने शिमला स्थित प्रमुख धार्मिक स्थल और बाबा नीब करौरी की तपस्थली संकटमोचन मंदिर में भी पूजा-अर्चना की। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल भी उनके साथ उपस्थित थे। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (प्रोटोकॉल) ज्योति राणा ने राष्ट्रपति को मंदिर के ऐतिहासिक महत्व की जानकारी दी। इस अवसर पर राज्यपाल ने राष्ट्रपति को रामदरबार की प्रतिमा भी भेंट की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 8 मई को दिल्ली लौटेंगी। उन्होंने सोमवार को कांगड़ा जिला का दौरा किया था। इस अवसर पर उन्होंने केंद्रीय विवि के दीक्षांत समारोह में शामिल हुई थीं। उन्होंने शक्तिपीठ मां चामुंडा के दर पर शीश नवाया था।