जोधपुर, 7 दिसम्बर (हि.स.)। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा संपोषित व जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा केंद्रीय कार्यालय स्थित बृहस्पति भवन में राजस्थान इतिहास कांग्रेस के चल रहे दो दिवसीय 38वें अधिवेशन का शनिवार को समापन हो गया।
स्थानीय सचिव व विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) सुशीला शक्तावत ने बताया कि इस राष्टीय अकादमिक आयोजन में देश के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों व अन्य महाविद्यालयों से इतिहासविद्, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया जिसमें प्रतिदिन समानान्तर तीन तकनीकी सत्र संचालित हुए और करीब दो सौ से अधिक शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया गया। राजस्थान इतिहास कांग्रेस के सचिव प्रो. एसपी व्यास ने 37वें अधिवेशन का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
रीवा विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश के पूर्व कुलपति प्रो. एसएन यादव ने मौखिक ऐतिहासिक स्रोतों का उपयोग करते हुए इतिहास लेखन पर बल देने का आह्वान किया। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ. ओमजी उपाध्याय ने भारत एवं राजस्थान के सांस्कृतिक इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उन्होंने सांस्कृतिक इतिहास को विद्यार्थियों को पढ़ाने तथा सांस्कृतिक शोध को बढ़ाने पर बल दिया।
डॉ. उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में बताया कि शक्ति, भक्ति, संस्कृति, वीरता एवं शौर्य में हिन्दुस्तान में सबसे आगे प्यारा राजस्थान है। प्रो. वीके. वशिष्ठ ने राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान इतिहास अनुसंधान परिषद् के गठन का प्रस्ताव रखा। अध्यक्षीय भाषण में प्रो. विनीता परिहार ने राजस्थान के प्रजामण्डल आन्दोलनों पर विभिन्न इतिहासकारों के कार्यो का विश्लेषणात्मक प्रकाश डालते हुए भावी पीढ़ी के समक्ष निष्पक्ष इतिहास प्रस्तुत करने पर बल दिया।
प्रो. कपिल का सम्मान, पुस्तक का विमोचन
समारोह में प्रो. एफ.के कपिल का स्थानीय इतिहासकार के रूप में सम्मान प्रदान किया गया। सह आचार्य डॉ. रश्मि मीना की पुस्तक राजस्थान के इतिहास के विविध स्रोत का विमोचन किया गया। चार समानान्तर तकनीकी सत्रों में दो सौ से अधिक शोध पत्रों का वाचन हुआ। तकनीकी सत्रों में प्रो. मानवेन्द्र पुण्डिर ने प्रो. गोपीनाथ शर्मा मेमोरियल व्याख्यान, प्रो. केएल माथुर ने प्रो. आरपी व्यास मेमोरियल व्याख्यान तथा प्रो. जेके ओझा ने प्रो. के एस गुप्ता विशिष्ठ व्याख्यान प्रदान किया। समारोह में प्रो. जीएसएल देवड़ा, प्रो. दिलबाग सिंह, प्रो. जेसी उपाध्याय, प्रो. शिवकुमार भनोत सहित देश भर के इतिहासकारों, शोधार्थियों व विद्यार्थियों ने भाग लिया।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रो. दिलबाग सिंह, विशिष्ट अतिथि कला संकाय अधिष्ठाता प्रो. मंगलाराम एवं अध्यक्षता प्रो. विनीता परिहार ने की। कार्यक्रम के अंत में विभागाध्यक्ष व स्थानीय सचिव प्रो. सुशीला शक्तावत ने सभी का आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ललित कुमार पंवार ने किया।