देहरादून, 11 नवंबर (हि.स.)। धामी सरकार उत्तराखंड को जल्द ही सशक्त महिला नीति की सौगात देने की तैयारी में है। उत्तराखंड राज्य महिला आयोग के 19वें स्थापना दिवस पर आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने बताया कि आयोग का उद्देश्य महिलाओं को जागरूक, सशक्त एवं स्वावलंबी बनाना है। उन्होंने आयोग के कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही प्रदेशवासियों-अभिभावकों को अपनी जिम्मेदारी के प्रति जागरूक किया।
सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में सोमवार को मीडिया से बातचीत में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने बताया कि उत्तराखंड की महिलाओं को 2019 में राज्य महिला आयोग की ओर से तैयार की गई महिला नीति की घोषणा जल्द ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे। आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए राज्य महिला आयोग अभिभावक की तरह काम कर रहा है। महिलाओं की सुरक्षा आयोग की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि महिला अपराध रोकने में जागरुकता जरूरी है। ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए खुद के साथ बहन-बेटियों की सुरक्षा का ख्याल रखें और उन्हें जागरूक करें।
आत्मनिर्भर बन जीवन की नई राह चुनेंगी महिला बंदी
कंडवाल ने अपनी योजनाएं गिनाते हुए कहा कि प्रदेश में सभी जेलों में महिला कैदियों का उन्होंने हाल चाल जाना और सरकार की सुविधाओं का जायजा लिया। महिला जब जेल बाहर निकलें तो वे समाज की मुख्यधारा जुड़कर जीवन की नई राह चुनें। इसके लिए महिला बंदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त व आत्मनिर्भर बनें और उन्हें किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े।
महिलाओं तक पहुंचाया जा रहा सरकारी योजनाओं का लाभ
कंडवाल ने बताया कि प्रदेश में वन स्टॉप सेंटर में महिलाओं की काउंसिलिंग की गई है। प्रत्येक थाना क्षेत्र में महिला हेल्प डेस्क, महिला हेल्पलाइन की समय-समय पर निरीक्षण की जाती है। इन वर्षों में महिलाओं की योजनाओं की जिला स्तर पर लगातार समीक्षा की जा रही है और महिलाओं तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है।
विद्यालय स्तर पर छात्राओं को महिला सुरक्षा के प्रति किया जा रहा जागरूक
उन्होंने बताया कि हर विभाग की सेक्सुअल हैरासमेंट कमेटी होनी चाहिए, जहां चार या चार से अधिक महिलाएं कार्यरत हों। ऐसा दिशा-निर्देश दिया गया है। विद्यालय स्तर पर भी समय-समय पर आयोजन कर छात्राओं को महिला सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है और आयोग की जानकारी दी जा रही है।
स्पा सेंटरों के लिए एसओपी जारी
उन्होंने बताया कि स्पा सेंटर में आए दिन छापे मारे जाते हैं। स्पा सेंटरों के लिए आयोग ने एसओपी तैयार कर शासन को भेजा है। एसओपी के अनुसार स्पा सेंटरों में 18 वर्ष से कम उम्र की युवतियों की नियुक्ति न हो। मसाज पार्लर हो या थेरेपी सेंटर, उसमें पुरुष और महिलाओं के लिए अलग कमरे हों। हर मसाज थेरेपी या स्पा सेंटरों का सत्यापन स्थानीय थाने में होना चाहिए। प्रत्येक मसाज ट्रेनर प्रशिक्षित होना जरूरी है।