आजकल बदलती जीवनशैली और गलत खान-पान की वजह से डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डायबिटीज से पहले की स्थिति जिसे प्रीडायबिटीज कहते हैं, वह अवस्था है जब रक्त में शुगर का स्तर सामान्य से अधिक होता है लेकिन डायबिटीज का स्तर नहीं पहुंचा होता है। प्रीडायबिटीज की पहचान करना बहुत जरूरी है क्योंकि यह डायबिटीज का शुरुआती संकेत है और अगर इस अवस्था में सही कदम उठाए जाएं तो इस बीमारी को रोकना संभव हो सकता है।
प्रीडायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर लेवल के नियंत्रण से बाहर होने की संभावना बहुत अधिक होती है, जो आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज का रूप ले सकता है। सही समय पर इसका पता लगाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
प्रीडायबिटीज के लक्षण
प्रीडायबिटीज के लक्षण अक्सर बहुत मामूली होते हैं और लोग आमतौर पर इसे अनदेखा कर देते हैं। लेकिन डॉ. शर्मा कहते हैं कि थकान, बार-बार प्यास लगना, भूख का बढ़ जाना और वजन में अनचाहे बदलाव जैसी छोटी-छोटी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। अगर ये लक्षण दिखें तो तुरंत ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए।
समय पर जांच और जीवनशैली में बदलाव महत्वपूर्ण हैं।
डॉक्टर कहते हैं कि नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करवाना बहुत ज़रूरी है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके परिवार में मधुमेह का इतिहास रहा है। नियमित जांच से न सिर्फ़ प्रीडायबिटीज़ का पता लगाया जा सकता है, बल्कि समय रहते इसे नियंत्रित भी किया जा सकता है।
निवारक उपाय
अगर सही समय पर ध्यान दिया जाए तो प्रीडायबिटीज से बचा जा सकता है। खान-पान में बदलाव, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर प्रीडायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। साबुत अनाज, ताजे फल और सब्जियों का सेवन और फास्ट फूड से दूर रहकर शुगर लेवल को कंट्रोल में रखा जा सकता है। डॉ. रिया ने अंत में कहा कि प्रीडायबिटीज की समय पर पहचान और रोकथाम से न केवल डायबिटीज को रोका जा सकता है, बल्कि इससे जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हृदय रोग, किडनी की समस्या और आंखों की बीमारियों को भी दूर रखा जा सकता है।